इस वजह से हीरो नहीं बन पाए अमरीश पुरी, प्रोड्यूसर्स की बात सुन लगा था धक्का फिर लिया था ये फैसला

मुंबई. गुजरे जमाने के फेमस विलेन अमरीश पुरी की आज (22 जून को) 88वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उनका जन्म 22 जून, 1932 को जालंधर में हुआ था। मोगैंबो का मशहूर किरदार निभाने वाले अमरीश बाकी एक्टर्स की तरह ही मुंबई हीरो बनने की ख्वाहिश लेकर आए थे, लेकिन प्रोड्यूसर्स ने ये कहकर मना कर दिया था कि उनका चेहरा हीरो बनने लायक नहीं है। हालांकि, ये बात सुनकर उनके दिल को बहुत ठेस पहुंची थी। बाद में उन्होंने फिल्मों में विलेन का किरदार ही निभाया और बॉलीवुड के महान 'खलनायकों' में उन्हें गिना जाता है। बता दें कि अब वे हमारे बीच नहीं है। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 22, 2020 5:47 AM IST

16
इस वजह से हीरो नहीं बन पाए अमरीश पुरी, प्रोड्यूसर्स की बात सुन लगा था धक्का फिर लिया था ये फैसला

अमरीश के बड़े भाई मदन पुरी पहले से ही फिल्म इंडस्ट्री में थे और उन्होंने ही अमरीश को मुंबई को बुलाया था। पहली बार एक एक्टर के लिए उनका स्क्रीन टेस्ट 1954 में हुआ, हालांकि प्रोड्यूसर्स को वे पसंद नहीं आए।

26

उन्हें एक्टिंग करने का जुनून था और यही कारण था कि प्रोड्यूसर्स के ठुकराने के बाद भी उन्होंने एक्टिंग को नहीं छोड़ा और थिएटर की तरफ रुख किया। 1971 में डायरेक्टर सुखदेव ने उन्हें 'रेशमा और शेरा' के लिए साइन किया, लेकिन उस वक्त तक उनकी उम्र 40 साल के करीब हो चुकी थी। हालांकि, फिल्म में अमरीश को ज्यादा रोल नहीं दिया गया, जिस वजह से उन्हें अपनी पहचान बनाने में और समय लगा।

36

श्याम बेनेगल की फिल्म 'निशांत', 'मंथन' और 'भूमिका' जैसी फिल्मों में काम मिला। उनको असली पहचान 1980 में आई 'हम पांच' से मिली। इस फिल्म में उन्होंने दुर्योधन का किरदार निभाया था, जो काफी चर्चित रहा। इसके बाद 'विधाता' और 'हीरो' जैसी फिल्मों ने अमरीश पुरी को खलनायक के तौर पर सुपरहिट कर दिया।

46

1987 में आई 'मिस्टर इंडिया' में उन्हें 'मौगेंबो' का किरदार निभाया। इस फिल्म में उनका डायलॉग 'मौगेंबो खुश हुआ' काफी फेमस हुआ। इन फिल्मों में विलेन का किरदार निभाने के बाद उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा और 'राम लखन', 'सौदागर', 'करण-अर्जुन' और 'कोयला' जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया। फिल्मों में विलेन का किरदार निभाने के अलावा उन्होंने कई सकारात्मक और हास्य भूमिकाएं भी निभाईं। 

56

निगेटिव रोल से शुरुआत करने वाले अमरीश ने 90 के दशक में पॉजिटिव के किरदार निभाने शुरू किए थे। उनका कद काफी बढ़ चुका था और कई बार ऐसा भी होता था कि मुंहमांगी फीस न मिलने पर वो फिल्म छोड़ दिया करते थे। एनएन सिप्पी की एक फिल्म उन्होंने सिर्फ इसलिए छोड़ दी थी, क्योंकि उन्हें मांग के मुताबिक 80 लाख रुपए नहीं दिए जा रहे थे। 

66

अमरीश ने इंटरव्यू में कहा था- जो मेरा हक है, वो मुझे मिलना चाहिए। मैं एक्टिंग के साथ कोई समझौता नहीं करता। तो फिल्म के लिए कम पैसा स्वीकार क्यों करूं। लोग मेरी एक्टिंग देखने आते हैं। प्रोड्यूसर्स को पैसा मिलता है, क्योंकि मैं फिल्म में होता हूं। तो क्या प्रोड्यूसर्स से मेरा चार्ज करना गलत है? जहां तक सिप्पी की फिल्म की बात है तो वह मैंने बहुत पहले साइन की थी। वादा था कि साल के अंत में फिल्म शुरू होगी। लेकिन तीन साल बीत चुके हैं। मार्केट का भाव बढ़ गया है। अगर वो मुझे उतना पैसा 

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos