जिस 1 डायलॉग की शूटिंग करने 27 बार मुंबई से बेंगलुरु गया विलेन, वो 'शोले' में अपना रोल देख खूब रोया था

मुंबई. 70 के दशक की ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले (Film Sholay) में सांभा (Sambha) का किरदार निभाने वाले मैक मोहन (Mac Mohan) की 83वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उनका जन्म 24 अप्रैल 1938 को कराची में हुआ था। कई फिल्मों में काम करने वाले मैक मोहन को असली पहचान फिल्म शोले में सांभा का रोल प्ले कर मिली। इस रोल के बाद हर कोई उन्हें उनके असली नाम से नहीं बल्कि सांभा के नाम से जानने लगा था। बता दें कि मैक ने कभी फिल्मों में लीड रोल प्ले नहीं किया फिर भी वे बॉलीवुड की हर दूसरी फिल्म में नजर आए। बता दें कि मैक मोहन रिश्ते में रवीना टंडन (Raveena Tandon) के मामा लगते हैं।
 

Asianet News Hindi | Published : Apr 24, 2021 7:34 AM IST

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जिस 1 डायलॉग की शूटिंग करने 27 बार मुंबई से बेंगलुरु गया विलेन, वो 'शोले' में अपना रोल देख खूब रोया था

मैक मोहन ने इंडस्ट्री के हर बड़े स्टार के साथ स्क्रीन शेयर की। करीब 3 घंटे की फिल्म शोले में सांभा ने सिर्फ एक ही डायलॉग बोला और वो था-पूरे पचास हजार। और इसी ने दुनियाभर में फेमस कर दिया।

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आपको जानकर हैरानी होगी कि इस छोटे से डायलॉग की शूटिंग के लिए मैक मोहन को मुंबई से बेंगलुरु 27 बार जाना पड़ा था। शुरुआत में फिल्म में उनका रोल लंबा था। लेकिन, फिल्म की एडिटिंग होने के बाद उनका सिर्फ एक ही डायलॉग रहा।

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मैक मोहन ने फिल्म शोले को एडिट होने के बाद जब देखा तो वे बहुत निराश हुए थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था- जब मैंने फिल्म को देखा तो मैं रोने लगा था। मैं सीधे डायरेक्टर रमेश सिप्पी के पास गया और उनसे बोला कि मेरा इतना थोड़ा सा रोल भी क्यों रखा? आप चाहते तो इसे भी हटा ही देते। इस उन्होंने मुझसे कहा कि अगर यह फिल्म हिट हुई तो दुनिया तुम्हें सांभा के नाम से जानेगी। और हुआ भी ऐसा ही।

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मैक ने 30 जून 1986 में एक आयुर्वेदिक डॉक्टर मिनी से शादी की थी। उनके तीन बच्चे विनती, विक्रांत और मंजरी। मंजरी पेशे से फिल्म निर्माता और निर्देशक हैं। उन्होंने थिएटर करने के बाद द लास्ट मार्बल जैसी शॉर्ट फिल्म लिखी और खुद ही निर्देशित भी की। 

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मैक मोहन के पिता भारत में ब्रिटिश आर्मी में कर्नल थे। 1940 में उनका ट्रांसफर कराची से लखनऊ हो गया और मैक ने अपनी पढ़ाई यहीं से पूरी की। 

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उनको बचपन से क्रिकेट का शौक था और वो क्रिकेटर बनना चाहते थे। उन्होंने उत्तर प्रदेश की क्रिकेट टीम के लिए भी खेला था। 1952 में मुंबई आ गए। यहां आने के बाद जब उन्होंने रंगमंच देखा तो एक्टिंग में उनकी रुचि बढ़ गई।

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शबाना आजमी की मां शौकत कैफी को उन दिनों एक नाटक के लिए दुबले-पतले शख्स की जरूरत थी। मैक के किसी दोस्त ने उन्हें इसके बारे में बताया। उन्हें पैसों की जरूरत थी। वे शौकत के पास नाटक में काम मांगने पहुंच गए और यहीं से उनका एक्टिंग करियर शुरू हुआ।

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1964 में उन्होंने फिल्म हकीकत से डेब्यू किया था। 46 साल के करियर में उन्होंने करीब 175 फिल्मों में काम किया।
 

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जब मैक फिल्म अतिथि तुम कब जाओगे की शूटिंग कर रहे थे तभी उनकी तबीयत खराब हो गई थी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उनके फेफड़े में ट्यूमर है। इसके बाद उनका लंबा इलाज चला लेकिन 10 मई, 2010 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

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उन्होंने शार्गिद, अभिनेत्री, जंजीर, हीरा पन्ना, हंसते जख्म, मजबूर, प्रेम कहानी, हेरा फेरी, डॉन, चरस, काला पत्थर, जानी दुश्मन, कर्ज, कुर्बानी, शआम, दोस्ताना, कालिया, सत्ते पे सत्ता, लाल बादशाह, आग ही आग, इंसान जैसी कई फिल्मों में काम किया।

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