वे आगे कहते हैं, "जो मन में आए वह बिना झिझक, बिना डर के करो। फिर चाहे आप कहीं से भी आए हों, किसी भी धर्म से हों, किसी भी घराने से हों या किसी भी जाति से हों। अपनी फैमिली में कुछ बुरा ना आए। वो सब ना कीजिए, लेकिन जो मन में आए, वो कीजिए। दिल ठोक के बिना डरे किसी से।"