इस वजह से लता मंगेशकर ने नहीं की शादी, कभी पतली आवाज बताकर इस शख्स ने किया था रिजेक्ट

मुंबई। लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का रविवार 6 फरवरी को निधन हो गया। उन्होंने 92 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। लता मंगेशकर के निधन से बॉलीवुड समेत दुनियाभर में शोक की लहर छा गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक, सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। 28 सितंबर, 1929 को इंदौर में एक मध्यमवर्गीय मराठा परिवार में जन्मी लता का नाम पहले 'हेमा' था। हालांकि जन्म के पांच साल बाद माता-पिता ने इनका नाम 'लता' रख दिया था। छह दशक से हिन्दुस्तान की आवाज बन चुकीं लताजी ने 36 से ज्यादा भाषाओं में करीब 30 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं। 5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता मंगेशकर ने कभी शादी नहीं की। एक इंटरव्यू में उन्होंने इसकी वजह बताते हुए खुलासा किया था कि आखिर वो ऐसा क्यों नहीं कर पाईं।  

Asianet News Hindi | Published : Sep 27, 2020 3:36 PM IST / Updated: Feb 06 2022, 12:38 PM IST

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इस वजह से लता मंगेशकर ने नहीं की शादी, कभी पतली आवाज बताकर इस शख्स ने किया था रिजेक्ट

लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर के 5 बच्चे हैं। इनमें लता के अलावा मीना, आशा, उषा और हृदयनाथ उनसे छोटे हैं। महज 5 साल की उम्र से ही लता ने गाना सीखना शुरू कर दिया था, क्योंकि पिता दीनदयाल रंगमंच के कलाकार थे। लता को संगीत की कला विरासत में मिली थी।

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एक इंटरव्यू में लता जी ने बताया था कि जब वो 13 साल की थीं, तभी उनके पिता का स्वर्गवास हो गया था। ऐसे में घर के सभी सदस्यों की जिम्मेदारियां उन पर थी। कई बार शादी का ख्याल आता तो वे उस पर अमल नहीं कर सकती थीं। बहुत कम उम्र में ही वे काम करने लगी थीं। भाई-बहनों और घर की जिम्मेदारियों को देखते-देखते ही वक्त चला गया और वे ताउम्र शादी नहीं कर पाईं।

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शुरुआत में बहुत से लोगों ने लता की आवाज को पतली और कमजोर बताकर खारिज कर दिया था। लेकिन लता भी धुन की पक्की थीं, उन्होंने सबकी बताई गलतियों से सबक लिया और दुनिया में अपना नाम बनाया। लता की आवाज को पतली बताने वाले पहले इंसान थे मशहूर फिल्मकार एस मुखर्जी।

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एक बार लता के गुरु गुलाम हैदर साहब ने एस मुखर्जी को दिलीप कुमार और कामिनी कौशल स्टारर मूवी ‘शहीद’ के लिए लता की आवाज सुनाई। मुखर्जी ने पहले तो बड़े ध्यान से उनका गाना सुना और फिर कहा कि वो इन्हें अपनी फिल्म में काम नहीं दे सकते क्योंकि उनकी आवाज बेहद पतली है।

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वहीं एक बार गुलाम हैदर साहब, लता और दिलीप कुमार मुंबई की लोकल ट्रेन से कहीं जा रहे थे। ऐसे में हैदर ने सोचा कि दिलीप कुमार को लता की आवाज सुनाने से शायद उन्हें कोई काम मिल जाए।

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फिर लता ने जैसे ही गाना शुरू किया तो दिलीप कुमार ने टोकते हुए कहा कि मराठियों की आवाज से ‘दाल-भात’ की गंध आती है। उनका इशारा लता के उच्चारण पर था। इसके बाद लता ने हिंदी और उर्दू सीखने के लिए एक टीचर रखा और अपना एक्सेंट सही किया था।

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लता मंगेशकर को भारत के तीनों सर्वोच्च नागरिक सम्मान (भारत रत्न, पद्म भूषण और पद्म विभूषण) सहित तीन राष्ट्रीय और चार फिल्मफेयर पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। 1974 में लता मंगेशकर लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में परफॉर्म करने वाली पहली इंडियन बनी थीं।

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साल 2019 में लता जी ने आखिरी बार ‘सौगंध मुझे इस मिट्टी की’ गाना गाया था। लता ने 13 साल की उम्र में पहली बार साल 1942 में आई मराठी फिल्म ‘पहली मंगलागौर’ में गाना गाया। हिंदी फिल्मों में उनकी एंट्री साल 1947 में फिल्म ‘आपकी सेवा’ के जरिए हुई।

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