इस वजह से जब जैकी श्रॉफ ने मारे थे अनिल कपूर को ताबड़तोड़ थप्पड़, सूज गया था गाल
मुंबई. अनिल कपूर 63 साल के हो गए हैं। उनका जन्म 24 दिसंबर 1956 को हुआ था। वैसे तो अनिल के बारे में लोग कुछ काफी कुछ जानते है, लेकिन उनके बारे में कुछ ऐसी बातें भी हैं, जिन्हें कम ही लोग जानते हैं। बता दें कि इंडस्ट्री में अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ की दोस्ती की मिसाल दी जाती है। दोनों ने साथ में कई फिल्मों में काम किया है। लेकिन इनमें से एक फिल्म है परिंदा, जिसमें एक सीन को परफेक्ट बनाने के लिए जैकी श्रॉफ ने अनिल को ताबड़तोड़ थप्पड़ मारे थे और 17वें थप्पड़ पर जाकर सीन ओके हुए था।
Asianet News Hindi | Published : Dec 24, 2019 6:39 AM IST / Updated: Dec 26 2019, 09:47 AM IST
दरअसल, डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा फिल्म 'परिंदा' की शूटिंग कर रहे थे। फिल्म के एक सीन में जैकी को अनिल के गाल पर थप्पड़ मारना था। जब जैकी ने ऐसा किया तो डायरेक्टर सीन से संतुष्ट हो गए और उन्होंने सीन ओके कर दिया। लेकिन अनिल कपूर को सीन में कुछ कमी नजर आईं। तभी अनिल ने कहा कि 'क्या प्यार से मार रहा है, जोर से मार'। फिर क्या था जैकी ने असल में ताबड़तोड़ थप्पड़ मार दिए। 17वें थप्पड़ के बाद अनिल को वो सीन सही लगा। खबरों के मुताबिक इसके बाद अनिल के गाल पर सूजन आ गई थी। ये किस्सा खुद अनिल ने कुछ साल पहले दिए एक इंटरव्यू में बताया था।
अनिल फेमस फिल्म प्रोड्यूसर सुरेंद्र कपूर और निर्मल कपूर के बेटे हैं। जब उनका परिवार मुंबई आया था तो शुरुआती दौर में वे राज कपूर के गैरेज में रहा करते थे। दरअसल, अनिल कपूर के पिता सुरिंदर कपूर राजकपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर के कजिन हैं। ऐसे में जब वो मुंबई आए थे तो उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी। इसलिए कुछ सालों तक गैरेज में रहे थे।
अनिल कपूर ने 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' में खुलासा किया था कि वे टपोरी का किरदार बहुत अच्छे से कैसे निभाते लेते हैं। दरअसल अनिल असल जिदंगी में भी टपोरी थे। अनिल की मानें तो बचपन में वे और उनके दोस्त टपोरियों जैसे ही काम किया करते थे। उनके हालात बहुत अच्छे नहीं थे और उन्होंने फिल्म की टिकट्स तक ब्लैक की हैं।
1986 में आई फिल्म 'चमेली की शादी' पहली बॉलीवुड फिल्म थी, जिसमें अनिल कपूर ने न केवल लीड रोल किया, बल्कि इस फिल्म का टाइटल सॉन्ग भी उन्होंने ही गाया था। बतौर सिंगर भी अनिल का यह पहला मौका था।
अनिल ने बतौर लीड एक्टर 1980 में तेलुगु फिल्म Vamsa Vruksham से डेब्यू किया था। हालांकि, इससे पहले वे 1979 में डायरेक्टर उमेश मेहरा की फिल्म 'हमारे-तुम्हारे' में कैमियो करते नजर आए थे। उन्होंने 1979 से 1982 तक बॉलीवुड की चार फिल्मों 'हमारे तुम्हारे' (1979), 'एक बार कहो' (1980), 'हम पांच' (1980) और 'शक्ति' (1982) में बतौर सपोर्टिंग एक्टर काम किया। 1983 में फिल्म 'वो सात दिन' के जरिए उन्होंने बतौर लीड एक्टर बॉलीवुड में कदम रखा।