रायपुर (छत्तसीगढ़). कहते हैं कि इंसान का सबकुछ छिन जाए तो भी कोई गम नहीं, बस उसके पास मजबूत इरादे और हौसला होने चाहिए। जिनकी दम पर वह हर मुश्किल राह को भी आसान बना लेता है। क्योंकि जिसके अंदर हौसले के पंख होते हैं वह कहीं भी उड़ान भर सकता है। ऐसे लोगों का तो मंजिलें भी रास्ता देखती हैं। ऐसी एक मिसाल कायम करने वाली कहानी छत्तसीगढ़ से सामने आई है, जहां एक 11 साल की बच्ची के बचपन से ही दोनों पैरों के पंजे नहीं हैं। लेकिन वह फिर भी निराश नहीं हुई। वो एक जगह बैठने कि बजाए उसने इसका इलाज ढूंढा और अपने पैरों में गिलास लगाकर चलने लगी। पढ़िए इस बेटी की जिंदादिल कहानी...