शैम्पू के 1 एड ने बदल दिया विराट का जीवन, 7 साल पहले कोहली में नहीं थी भारतीय कप्तान बनने की काबिलियत

नई दिल्ली. टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली तीनों फॉर्मेट में भारतीय टीम का नेतृत्व करते हैं और लगातार क्रिकेट के मैदान पर देश को जीत दिलाने के लिए दिलो जान से लगे रहते हैं। कोहली को अक्सर लगातार मैच खेलने पड़ते हैं और इससे उन्हें थकावट भी होती है। साल की शुरुआत में वो खुलकर इस मामले पर अपनी बात भी रख चुके हैं। हालांकि कोहली शुरुआत से ही भारतीय कप्तान बनने के दावेदार नहीं थे। भले ही उन्होंने भारत की अंडर-19 टीम को विश्वविजेता बनाया हो, पर सीनियर टीम में कप्तान के अंदर धैर्य का होना बहुत जरूरी होता है। विराट में इसी चीज की कमी थी। अनएकेडमी के लिए किए गए लाइव सेशन में उन्होंने बताया कि अनुष्का से मिलने के बाद ही उन्होंने अपने गुस्से में काबू रखना सीखा और वो पहले से बेहतर इंसान बनते गए। विराट साल 2013 में एक शैम्पू के एड की शूटिंग के दौरान अनुष्का से मिले थे। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 22, 2020 11:26 AM IST
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शैम्पू के 1 एड ने बदल दिया विराट का जीवन, 7 साल पहले कोहली में नहीं थी भारतीय कप्तान बनने की काबिलियत

2013 में शैम्पू एड के जरिए विराट और अनुष्का की जान पहचान हुई थी। यहीं से दोनों की दोस्ती हो गई और बाद में यह दोस्ती प्यार में बदल गई। 
 

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लंबे समय तक मीडिया में दोनों के अफेयर की खबरें चलती रही थी, पर किसी ने भी इस पर खुलकर कुछ नहीं कहा था। 

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विराट ने साल 2017 में इटली में अनुष्का के साथ शादी की थी। इस शादी में सिर्फ चुनिंदा मेहमानों को ही बुलाया गया था। 

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लाइव सेशन के दौरान विराट ने बताया कि अनुष्का से मिलने से पहले वो बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते थे। 
 

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उन्होंने कहा कि जब चीजें मुश्किल होती हैं तो आपको अपने अहंकार में काबू रखना होता है और धैर्य रखना पड़ता है। लड़ते रहने पर रास्ता मिल ही जाता है। ये सब बातें उन्होंने अनुष्का से मिलने के बाद सीखी। 

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छात्रों को भी समझाते हुए विराट ने कहा कि इस सीख को आप तब लागू कर सकते हैं, जब परिस्थितियां आपको खिलाफ जा रही हों। 
 

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अपना उदाहरण देते हुए विराट ने बताया कि कई बार उन्हें 20 रन बनाने के लिए टेस्ट मैच में 2 घंटे बल्लेबाजी करनी पड़ती है। लेकिन टीम की जरूरत होती है तो ऐसा करने की काबिलियत आपके अंदर होनी चाहिए। 

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कप्तान के रूप में करियर के शुरुआती दिनों में भी विराट काफी उत्साहित रहते थे और गौतम गंभीर जैसे खिलाड़ियों से उनकी बहस भी हो चुकी है। 
 

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DRS लेने के मामले में भी विराट का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। हालांकि समय के साथ वो परिपक्व हो रहे हैं और सोच समझकर फैसले लेते हैं। 
 

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महान बल्लेबाज बनने के बाद भी विराट को कई स्लेज किया जाता है, पर उन्होंने इन बातों का जवाब अपने बल्ले से देना सीख लिया है। 

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