13 साल के बच्चे के सीने पर लगी गोली...इस दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीर का सच क्या है?

नई दिल्ली. सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां पर सच और झूठ सभी तरह की खबरें और पोस्ट वायरल होते हैं। तस्वीर और वीडियो के साथ कई तरह के दावे किए जाते हैं। ऐसा ही दावा एक तस्वीर के साथ किया जा रहा है। तस्वीर में दिख रहा है कि एक बच्चे के सीने से खून निकल रहा है। वह खड़ा है। आंखे खुली हैं। तस्वीर के साथ लोग अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं। कुछ फेसबुक यूजर्स इसे जाट आंदोलन के दौरान की तस्वीर बता रहे हैं। श्रद्धांजलि देते हुए लिख रहे हैं कि भाई को नम आंखों से नमन। लेकिन क्या ये तस्वीर जाट आंदोलन के दौरान की है। जानें क्या है इस वायरल मैसेज का सच...?

Asianet News Hindi | Published : Sep 18, 2021 10:32 AM IST / Updated: Sep 18 2021, 04:03 PM IST

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13 साल के बच्चे के सीने पर लगी गोली...इस दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीर का सच क्या है?

तस्वीर के साथ वायरल मैसेज?
लड़के की तस्वीर के साथ खास मैसेज लिखा हुआ है। यूजर्स ने जिस भाषा में पोस्ट लिखी है उसी भाषा में यहां लिख रहे हैं- "वो दुख फिर से नए जैसा हो जाता है। जब ये तस्वीर देखता हूं। दसवीं में पढ़ने वाले सुनील श्योराण जिसने आज के दिन 13 सितंबर को जाट आरक्षण आंदोलन में जाट कौम के लिए अपना बलिदान दिया था। उसे नमन।" 
 

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तस्वीर-दावों का सच क्या है?
वायरल हो रही तस्वीर का सच जानने के लिए गूगल के रिवर्स इमेज की मदद ली गई। गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च करने पर कई लिंक मिले। उनमें से एक लिंक को क्लिक किया गया तो पता चला कि तस्वीर भारत की नहीं है। ये एक फिलिस्तीनी फिल्म का सीन है। 

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दरअसल, गूगल रिवर्स इमेज टूल के इस्तेमाल से एक फिलिस्तीनी ट्विटर यूजर का लिंक मिला। उनकी पोस्ट पर साल 2015 में ये तस्वीर शेयर की गई थी। 
 

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तस्वीर को लेकर और सर्च करने पर पता चला कि ये तस्वीर जिस फिल्म से ली गई है, उसका नाम "द किंगडम ऑफ एंट्स" है। फिल्म के ट्रेलर को यूट्यूब पर 2015 में अपलोड किया गया था और वीडियो में लड़के को 3 मिनट 38 सेकेंड में देखा जा सकता है।
 

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इसी फिल्म से जुड़ा एक और वीडियो साल 2012 का मिला। इस क्लिप में 1 मिनट 11 सेकंड के वीडियो में वही लड़का दिखा, जिसकी तस्वीर वायरल हो रही है। वीडियो में दिख रहा है कि लड़का फोर्स पर पथराव कर रहा है। फिल्म के बारे में सर्च करने पर पता चला कि इसे ट्यूनीशिया का डायरेक्टर चौकी मेजरी ने बनाई है, जिसे साल 2012 में रिलीज किया गया। यह फिल्म फिलिस्तीनी संघर्ष पर आधारित है।
 

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फिर सुनील श्योराण की कहानी झूठ है?
नहीं। सुनील श्योराण की कहानी झूठ नहीं है। लेकिन वायरल तस्वीर उसकी नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह 13 साल का था जब वह आरक्षण आंदोलन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में मारा गया। ऐसे में साफ है कि वायरल तस्वीर फिलिस्तीनी फिल्म से ली गई है।

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