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'मेरे सिर में गोली मार देना, अगर...' इस पॉप स्टार के साथ ऐसा क्या हुआ कि खुद की हत्या तक की बात कह डाली
काबुल. तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से कई आर्टिस्ट और पॉप सिंगर भाग गए। उन्हीं में से एक अफगानिस्तान की लोकप्रिय पॉप स्टार अर्याना सईद हैं। वे भी तालिबान के डर के देश छोड़कर भाग गईं। अभी वे तुर्की में हैं, लेकिन तालिबान का डर बना हुआ है। उन्होंने अपने इस डर को वॉइस वर्ल्ड न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में बताया। उन्होंने कहा कि मैंने अपने मंगेतर से कहा था कि अगर मुझे तालिबान घेर ले तो मेरे सिर में गोली मार देना। मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं जब मैं सोचती हूं कि अगर मैं तालिबान के हाथ लग जाती तो मेरा क्या होता। मैं तालिबान की मेन टारगेट थी।
Afghanistan pop star Aryana Sayeed ने क्यों कहा, मैं उनका मेन टारगेट दी...?
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इंटरव्यू में अर्याना सईद ने कहा, मैं म्यूजिक बनाती हूं। अफगान लड़कियों और महिलाओं के हक और अधिकार के लिए लड़ती हूं। उसकी वकालत करती हूं। मुझे पता था कि मैं तालिबान का मेन टारगेट थी।
इंटरव्यू में सईद ने बताया कि वे तालिबान के डर से कैसे भागी। उन्होंने बताया कि वे एक अमेरिकी सैन्य कार्गो जेट से काबुल से भागी। उस कार्गो में लोगों की भीड़ थी। कदम रखने भर की जगह नहीं थी। लेकिन जान बचाने के लिए लोग जैसे-तैसे कार्गो में चढ़ गए। उसी में संतोष था।
सईद ने काबुल से बाहर निकलने के बाद एक सेल्फी भी ली थी, जो काफी वायरल हुई थी। उन्होंने लिखा था, उस विमान में सैकड़ों लोग सवार थे। किसी ने भी COVID-19 की परवाह नहीं की। हम सब सिर्फ अफगानिस्तान से जिंदा बाहर निकलना चाहते थे।
सईद ने कहा, मैंने अपनी जिंदगी में आत्मघाती बम विस्फोटों और अन्य खतरों को देखा है। लेकिन जब सोचती हूं कि अगर मैं अफगानिस्तान में जिंदा तालिबान के हाथ लग जाती तो मेरा क्या होता। वे मेरा क्या करते। मेरे साथ जानवर से भी बदतर सलूक करते।
सईद और उसके मंगेतर 100000 से अधिक अफगानों में से थे, जो हाल के दिनों में अफगानिस्तान छोड़कर भाग गए। ऐसा इसलिए क्योंकि अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने कई संगीतकारों की हत्या कर दी। उन्होंने में से एक फवाद अंदाराबी भी थे।
अफगानिस्तान में फवाद अंदाराबी काफी लोकप्रिय थे। वे एक लोक गायक थे। तालिबान की बर्बर तरीके से उनकी हत्या कर दी। उन्हें उसके गांव के घर से घसीटा गया और बेरहमी से मार डाला गया।
सईद ने इंटरव्यू में कहा कि साल 2001 तक जब अफगानिस्तान में तालिबान का राज था, तब भी वहां कोई संगीत नहीं बजाता था। अगर किसी ने संगीत बजाने की हिम्मत कर दी तो उसे बहुत बुरी मौत दी जाती थी। ऐसे में इस बार तालिबान से क्या उम्मीद की जा सकती थी। मेरा देश एक बार फिर से उन्हीं हालातों में वापस जा रहा है।
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