बहू को दर्द से तड़पता देखकर सास के निकल पड़े आंसू, फिर 5 लोग गर्भवती को ऐसे लटकाकर अस्पताल की ओर भागे

रोहतक, हरियाणा. यह तस्वीर स्वास्थ्य सेवाओं की असलियत दिखाती है। ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। दूर-दराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवा मिलना सपने देखने जैसा है। वहीं, सरकारी अस्पतालों की हालत भी बुरी है। न इलाज का इंतजाम है और न ही स्टाफ ठीक। यह तस्वीर यही कहानी कहती है। यह दृश्य कनीना कस्बे में बुधवार को देखने को मिला। यहां के वार्ड-8 में रहने वालीं सुषमा को प्रसव पीड़ा होने पर उनकी सास ने एम्बुलेंस को कॉल किया। कई बार कॉल करने के बावजूद उनका कॉल किसी ने नहीं उठाया। जब सुषमा की तकलीफ बढ़ने लगी, तो उनकी सास पैदल ही उन्हें लेकर अस्पताल की ओर चल पड़ीं। लेकिन अस्पताल से चंद दूर सुषमा ने बेटी को जन्म दिया। आगे पढ़िए इसी घटना के बारें में...

Asianet News Hindi | Published : Aug 20, 2020 5:11 AM IST
16
बहू को दर्द से तड़पता देखकर सास के निकल पड़े आंसू, फिर 5 लोग गर्भवती को ऐसे लटकाकर अस्पताल की ओर भागे

सुषमा के पति कृष्ण कुमार बताते हैं कि उनका घर अस्पताल के पास ही है। लेकिन जब 102 पर एम्बुलेंस के लिए कॉल नहीं उठाया गया, तो उनकी मां लक्ष्मी देवी पैदल ही सुषमा को लेकर अस्पताल के लिए निकल पड़ीं। इस संबंध में एसएमओ डॉ. धर्मेंद्र ने सफाई दी कि इस मामले में कार्रवाई की जाएगी।

आगे पढ़ें...बर्तन में बैठकर गर्भवती ने पार की उफनती नदी..फिर दर्द से कराहते हुए हॉस्पिटल तक पहुंची, लेकिन मिली बुरी खबर
 

26

यह मामला पिछले महीने छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सामने आया था। बीजापुर जिले के मिनकापल्ली निवासी हरीश यालम की पत्नी लक्ष्मी को प्रसव पीड़ा होने पर 4 लोग बर्तन में बैठाकर चिंतावागु नदी पार कराकर पहले गोरला लाए थे। वहां से भोपालपट्टनम हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। लेकिन समय पर उपचार नहीं मिलने पर बच्चे ने गर्भ में ही दम तोड़ दिया। आगे पढ़ें 28 किमी पैदल चली गर्भवती और फिर नवजात को लेकर इसी तरह लौटी...
 

36

गढ़चिरौली, महाराष्ट्र. यह मामला भामरागढ़ तहसील में पिछले दिनों सामने आया था। इस महिला का नाम है रोशनी। इसके गांव में कोई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। जब इसे प्रसव पीड़ा हुई, तो 6 जुलाई को यह एक आशाकर्मी के साथ 28 किमी दूर लाहिरी हॉस्पिटल पहुंची। वहां से उसे हेमलकसा स्थित लोक बिरादरी अस्पताल पहुंचा गया। यहां उसने एक बच्ची को जन्म दिया। यहां से भी यह महिला अपनी बच्ची को गोद में लेकर पैदल ही गांव लौटी। आगे पढ़िए ऐसी ही कुछ अन्य घटनाएं...

46

कोंडागांव, छत्तीसगढ़. यह तस्वीर पिछले दिनों सामने आई थी। बल्लियों के सहारे बनाई गई पालकी पर लटकाकर इस गर्भवती को किमी दूर खड़ी एम्बुलेंस तक लाया गया। क्योंकि गांव तक रास्ता इतना ऊबड़-खाबड़ था कि एम्बुलेंस वहां तक नहीं पहुंच सकती थी। यह अच्छी बात रही कि एम्बुलेंस का ड्राइवर और नर्स अच्छे लोग निकले और उन्होंने गर्भवती को लाने के लिए यह रास्ता निकाला। मामला कोंडागांव माकड़ी विकासखंड के मोहन बेडा गांव का है। आगे पढ़िए..ऐसी ही कुछ अन्य घटनाएं..जो सरकारी खामियों या महिलाओं की परेशानी को दिखाती हैं..
 

56

यह मामला छत्तीसगढ़ के कांकेर में पिछले दिनों सामने आया था। 12 साल की यह लड़की मानकी कांकेर जिले की ग्राम पंचायत कंदाड़ी के आश्रित गांव आलदंड की रहने वाली है। उसके गांव में कोई स्वास्थ्य सेवा नहीं है। लिहाजा, मजबूरी में मानकी को परिजन उसे कंधों पर टांगकर इलाज के लिए लेकर गए। करीब 5 किमी उसे ऐसे ही लटकाकर नदी तक ले गए। वहां, उन्हें घंटेभर तक नाव का इंतजार करना पड़ा। नदी पार करके 6 किमी दूर छोटेबेठिया उपस्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। उनके गांव से उपस्वास्थ्य केंद्र की दूरी करीब 14 किमी है। इसके बाद उसे इलाज मिल सका। आगे पढ़िए...खटिया को 'एम्बुलेंस' बनाया

66

यह शर्मनाक तस्वीर झारखंड के पश्चिम सिंहभूम से सामने आई थी। यह मामला बिशुनपुर प्रखंड के गढ़ा हाडुप गांव का है। यहां रहने वाले बलदेव ब्रिजिया के पत्नी ललिता को प्रसव पीड़ा हुई। उस हॉस्पिटल तक ले जाने का जब कोई दूसरा साधन नहीं दिखा, तो खटिया को लोगों ने 'एम्बुलेंस' बना लिया। 

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos