WHO के अनुसार, दुनियाभर में 52 देशों में 856 मिलियन लोग इस रोग से पीड़ित हैं। वहीं, भारत में ये बीमारी ज्यादातर बिहार, बंगाल, पूर्वी प्रान्तों, केरल और मलाबार प्रदेशों में पाई जाती है। अधिकतर मामलों में कम ज्ञान के कारण लोगों को इसके लक्षणों को पता नहीं चल पाता है, जिससे इलाज में मुश्किल हो सकती है।