कुत्ते की तरह हो जाता है इंसान, 10 दिनों में मौत का डर, जानें कितनी खतरनाक है ये बीमारी, बचने के क्या हैं उपाय

हेल्थ डेस्क. 28 सितंबर को दुनिया भर में विश्व रेबीज दिवस (World Rabies Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद रेबीज और इसकी रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। रेबीज एक जूनोटिक बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत में हर साल करीब 20 हजार लोग रेबीज के कारण मरते हैं। रेबीज कुछ जानवरों के काटने से होने वाला संक्रमण (Infection) है। भारत में रेबीज के ज्यादातर केस कुत्ते के काटने के होते हैं। पहली बार विश्व रेबीज दिवस 28 सितंबर 2007 को मनाया गया था। आइए जानते हैं रेबीज के लक्षण और इससे बचने के लिए क्या-क्या उपाय हो सकते हैं।   

Asianet News Hindi | Published : Sep 28, 2021 7:39 AM IST / Updated: Sep 28 2021, 01:10 PM IST

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कुत्ते की तरह हो जाता है इंसान, 10 दिनों में मौत का डर, जानें कितनी खतरनाक है ये बीमारी, बचने के क्या हैं उपाय

क्या हैं लक्षण
मरीज को शुरू के एक-दो दिन में बुखार, भूख न लगना, कमजोरी, चिड़चिड़ापन आदि की समस्या होने लगती है। जानवर के काटने से हुए जख्म में तेज दर्द, जलन। मानसिक परेशानी, व्यग्रता, मतिभ्रम, अनिद्रा, आक्रामक व्यवहार, सांस लेने में परेशानी, पानी से डर या हाइड्रोफोबिया, तेज आवाज, तेज रोशनी से डरने जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। ऐसे व्यक्ति के मुंह से लार भी अधिक निकलने लगता है।

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क्या उपाय हो सकते हैं
अगर रेबीज से संक्रमित जानवर काट ले तो सबसे पहले जख्म को करीब 10 से 15 मिनट तक धोएं। 
जख्म को डिटॉल, आयोडीन एंटीसेप्टिक या आफ्टर शेव से अच्छी तरह साफ कर लें। ऐसा करने से पशु की लार में पाए जाने वाले वायरस की मात्रा कुछ कम हो जाती है।
मरीज को नजदीकी हॉस्पिटल या डॉक्टर से सपंर्क करना चाहिए।
20 से 24 घंटे के भीतर इसका वैक्सीनेशन जरूर कराना चाहिए।

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काटने के साथ जानवर के चाटने से भी होता हैं इन्फेक्शन
जरूरी नहीं की आवारा कुत्ते के काटने से ही रेबीज होता है ये जानवरों के चाटने से भी होता है। कई बार पालतू के प्यार से चाटने पर भी सलाइवा से भी इंफेक्शन हो सकता है। अगर आपके शरीर में कहीं चोट लगी है और किसी पालतू जानवर ने चाट लिया तो इससे भी इंन्फेक्शन का डर रहता है।  
 

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कितनी तरह की ववैक्सीन
रेबीज से बचाव के लिए मरीज को पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस वैक्सीन दी जाती है। ये वैक्सीन नि:शुल्क दी जाती है। यह एक तरह के वायरस ही होते हैं, जो डैड होते हैं।
ये वायरस  शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाते हैं, जिससे शरीर रेबीज वायरस के विकास को रोकने में मदद करते हैं। 


 

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6 से 7 दिनों में हो जाती है मौत
संक्रमित जानवर के काटने से मरीज को  बेहोशी, हृदय की कार्य प्रणाली प्रभावित होने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं और मरीज कोमा में भी जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 6-10 दिनों में मरीज की मौत हो जाती है।

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