लोहरदगा, झारखंड. लॉकडाउन में आपने देखा होगा कि लाखों मजदूरों को काम-धंधे से हाथ धोकर वापस गांव लौटना पड़ा। देश में लाखों लोग ऐसे हैं, जिनके पास खेती-किसानी है, लेकिन तौर-तरीके नहीं आने से वे शहरों में मजदूरी करने निकल पड़ते हैं। भारत कृषि प्रधान देश है। जाहिर-सी बात है कि खेती-किसानी और उससे जुड़ीं चीजों का एक बड़ा बाजार है। आवश्यकता आत्मनिर्भर बनने की है। खेती-किसानी और मेहनत से जुड़ीं ये सक्सेस कहानियां आपको आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित करेंगी। पहली कहानी झारखंड के लोहरदगा की है। यहां का एक गांव भंडरा प्रखंड का कुम्हरिया चट्टानों पर बसा है। कुछ साल पहले तक यहां रहने वालों को मजदूरी करके अपना जीवन गुजारना पड़ रहा था। उन्हें लगता था कि पत्थरों पर खेती करना नामुमकिन है। लेकिन फिर लोगों में हिम्मत जागी। उन्होंने पथरीली जमीन पर मिट्टी डालना शुरू की। इसके बाद सब्जियां आदि उगाना शुरू किया। आज यहां के किसान बेहतर जिंदगी गुजार रहे हैं। उन्हें किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ती। पढ़िए ऐसी ही कुछ अन्य कहानियां...