Kerala Election:'अयप्पा भगवान' के भरोसे सरकार, वोटबैंक की खातिर मुख्यमंत्री भी बन गए 'भक्त'

केरल विधानसभा चुनाव में सबरीमाला मंदिर का मुद्दा बेहद अहम है। केरल की 140 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में 6 अप्रैल को वोटिंग होगी। इनमें से 40 सीटों पर नायर सिविल सर्विस(NSS) का वर्चस्व है। यहां उनके करीब 25 प्रतिशत वोटर हैं। इसी कम्युनिटी ने सबरीमाला मंदिर विवाद में सुप्रीमकोर्ट और सरकार के खिलाफ आंदोलन किया था। इस बार यह कम्युनिटी भाजपा के साथ है। पिछले चुनाव में इसने कांग्रेस का साथ दिया था। आंदोलन के दौरान पिनराई विजयन सरकर ने 87600 लोगों पर मुकदमे दर्ज किए थे। अब सरकार ने सभी केस वापस लेने का ऐलान किया है। सबरीमाला का मुद्दा भाजपा के एजेंडे में पहले से ही। अमित शाह ने जब केरल में चुनावी शंखनाद किया था, तब सबरीमाला मंदिर का जिक्र किया था। NSS के जनरल सेक्रेटरी सुकुमार नायर दो टूक कहते हैं कि CPM सरकार नायर कम्युनिटी के लिए कुछ नहीं कर रही, सिर्फ मुसलमानों के लिए काम कर रही है। वे खुलकर कहते हैं कि भाजपा ही उनके साथ है। आइए जानते हैं सबरीमाला की कहानी...

Asianet News Hindi | Published : Mar 17, 2021 4:31 AM IST

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Kerala Election:'अयप्पा भगवान' के भरोसे सरकार,  वोटबैंक की खातिर मुख्यमंत्री भी बन गए 'भक्त'

केरल के पत्तनमत्तिका जिले में पेरियार टाइगर अभयारण्य में स्थित प्राचीन सबरीमाला(सबरीमला) हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां जनवरी में मकरसंक्रांति पर होने वाले धार्मिक कार्यक्रम 'मकरविलक्कू' पर लाखों लोग आते हैं। हर साल यहां 2 करोड़ लोग पहुंचते हैं। सबरीमाला राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किमी दूर पंपा से 5 किमी दूर पवर्त श्रृंखला पर स्थित है। यह समुद्रतल से करीब 1000 मीटर ऊंचाई पर है। इस मंदिर में मासिक धर्म वाली महिलाओं और लड़कियों के प्रवेश पर पाबंदी थी। हालांकि 28 सितंबर, 2018 को सुप्रीमकोर्ट ने महिलाओं के हक में फैसला सुनाया था। सबरीमाला में भगवान अयप्पा(अयप्पन) का मंदिर है। महाभागवत के अनुसार अयप्पा भगवान विष्णु और शिव के समागम से जन्मे थे। 

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सबरीमाला मंदिर घने जंगलों वाले 18 पर्वत के बीच में हैं। यहां पहुंचने के लिए पंपा से करीब 5 किमी तक पैदल जान पड़ता है। मंदिर तक पहुंचने 18 सीढ़िया हैं।

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सबरीमाला मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के पहले का हुआ मानते हैं। हालांकि इसे और भी प्राचीन माना जाता है। कहते हैं कि परशुराम ने यहां अयप्पा भगवान की मूर्ति स्थापित की थी। कुछ लोग इसे रामायणकालीन शबरी के अवतार से भी जोड़ते हैं।

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अयप्पा भगवान को ब्रह्मचारी और तपस्वी माना जाता है। इसलिए मंदिर में मासिक धर्म के आयु वर्ग में आने वाली स्त्रियों का जाना प्रतिबंधित था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस परंपरा को विराम लगा दिया।

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मंदिर में आने से पहले 41 दिनों तक व्रत रखना पड़ता है। कहते हैं कि जो कोई तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, सिर पर नैवेद्य(प्रसाद) की पोटली रखकर मंदिर पहुंचता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। यहां माला पहनने वाला भक्त स्वामी कहलाता है।
 

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कहते हैं कि यहां होने वाली महाआरती की दिव्यज्योति के दर्शन मात्र से सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। पुराने बुरे कर्मों से भी छुटकारा मिल जाता है।

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मंदिर में उत्सव के दौरान अयप्पा का घी से अभिषेक होता है। पूजा-अर्चना के बाद चावल-घी और गुड़ से बना प्रसाद बांटा जाता है। इसे अरावणा कहते हैं।

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बता दें कि सबरीमाला आंदोलन के दौरान नायर कम्युनिटी की 1500 महिलाओं पर केस दर्ज हुआ था। यहां के स्थानीय लोग सबरीमाला मंदिर को एक बड़ा चुनावी मुद्दा मानते हैं।

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