आगें कह मृदु बचन बनाई। पाछें अनहित मन कुटिलाई॥
जाकर चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहिं भलाई
अर्थ- जो मित्र आपके सामने कोमल वचन बोले, लेकिन मन में द्वेष की भावना हो तो ऐसे दोस्त का तुरंत त्याग कर दें। ऐसे कुमित्र सफलता के मार्ग में बाधा बनते हैं।