उत्सव से कम नहीं था अंतिम संस्कार: फूलों से सजा पूरा नगर..1 लाख लोगों ने वीर सपूत को दी अंतिम विदाई


भोपाल (मध्य प्रदेश). जम्मू-कश्मीर के बारामूला में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए राजगढ़ जिले के मनीष कारपेंटर का अंतिम संस्कार पैतृक गांव खुजनेर में किया गया। जब शहीद की पार्थिव देह तिरंगे में लिपटी गांव पहुंची तो अंतिम विदाई देने के लिए लोग सड़कों पर उमड़ पड़े। पूरे गांव को लोगों ने फूलों से सजाया हुआ था। ऐसा लग रहा था जैसे कोई उत्सव होने वाला हो। भारत माता की जयकारों के साथ एक लाख से ज्यादा लोगों ने खुजनेर के वीर सपूत को अंतिम विदाई दी  विदाई। हर तरफ लोगों की भीड़ दिखाई दे रही थी, कोई पेड़ पर चढ़ा था, तो कोई जीप के बोनट पर। सभी आखिरी बार अपने लाल का चेहरा देखना चाहते थे। हर किसी की आंखें नम थी, लेकिन वह पूरे जोश से अमर रहे शहीद मनीष के नारे लगा रहे थे, आसमान जयकारों से गूंज रहा था।

Asianet News Hindi | Published : Aug 27, 2020 6:00 AM IST
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उत्सव से कम नहीं था अंतिम संस्कार: फूलों से सजा पूरा नगर..1 लाख लोगों ने वीर सपूत को दी अंतिम विदाई


शहीद मनीष का बुधवार शाम में अंतिम संस्कार हुआ। अपने देश पर जान न्यौछावर करने वाले वीर सपूत की देह पर लोग जगह जगह पुष्प वर्षा कर वीर मनीष को नमन कर रहे थे। करीब घर से 12 किलोमीटर दूर से सेना वाहन के आगे-आगे 100 बाइक सवार रैली के साथ चल रहे थे। लोग अपनी फेसबुक प्रोफाइल और स्टेटस पर उनकी फोटो लगाकर श्रद्धांजलि दे रहे हैं। चौक, चौराहों पर मनीष के जयकारे के साथ पोस्टर लगाए गए थे। मुक्तिधाम पर फूलों से द्वार बनाया गया था। गांव के मुक्तिधाम में शाम लगभग 6 बजे राजकीय सम्मान के साथ मनीष का अंतिम संस्कार किया। बड़े भाई हरीश ने मनीष के शव को मुखाग्नि दी।
 

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बता दें कि मनीष सुदर्शन चक्र कोर में थे, वह साल 2016 में सेना में भर्ती हुए थे। मनीष के बड़े भाई हरीश भी सेना में पदस्थ हैं, उन्होंने ही मनीष को मुखाग्नि दी।
 

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बूढ़े बच्चे और यहां तक कि महिलाएं भी इस वीर सपूत की अंतिम यात्रा में शामिल हुई थीं। हर हाथ में तिरंगा था व पूरे उत्साह के साथ जवान को अंतिम विदाई देने के लिए पूरी तरह से लालायित थे।

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बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहीद को भोपाल के 3 सीएमई सेंटर में श्रद्धांजलि दी।परिवार को एक करोड़ रुपए की सम्मान राशि और एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा भी की।

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एक लाख से ज्यादा लोग शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए पहंचे थे। जिसको जहां जगह मिली वह वहां खड़ा हो गया। कोई पेड़ पर चढ़ा था तो कोई छतों पर।

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शहीद मनीष की अंतिम यात्रा में इतने लोग थे कि दो किलोमीटर तक भीड़ ही नजर आ रही थी। जहां देखो वहां सिर्फ लोगों के सिर दिखाई दे रहे थे।

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किसी के हाथ में तिरंगा था तो कई फूल लेकर इस अंतिम यात्रा में चल रहा था। भारत माता की जय और जवान के जयकारे  गूंज रहे थे।

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करीब आस पास के 15 से 20 गांव के लोग अपने वीर सपूत मनीष के दर्शन करने के लिए आए हुए थे। सुबह से लेकर शाम हो गई लेकिन, लोग वहां खुजनेर गांव से हिले तक नहीं, वह भूखे प्यासे डटे रहे।

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इन तस्वीरों को जिसने भी देखा वह देखता ही रह गया ऐसा लग रहा था, जैसे कोई बड़ा स्टार या नेता की अंतिम विदाई हो रही हो। सभी की आंखें नम थीं लेकिन, भारत माता के जयकारों से आसमान गूंज रहा था।

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मनीष के बड़े भाई हरीश ने मनीष के शव को मुखाग्नि दी।

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