रितेश के साले बादल चौरड़िया ने बताया कि जीजाजी को अभी दो साल ही हुए थे विसुवियस कंपनी में नौकरी करते हुए। लेकिन कंपनी जिस तरह से एक परिवार की तरह मदद की है वह सभी के लिए एक उदाहरण है। उन्होंने बताया कि एक युवक का रुटीन किराया कोलकाता से इंदौर का करीब 5 हजार होता है। फिर 30 लोगों के लिए दिल्ली से प्लेन कोलकाता बुलवाया और वहां से इंदौर भेजा, फिर खाली प्लेन वापस दिल्ली गया। इस पूरी प्रक्रिया में कंपनी के 50 लाख रुपए खर्च हो गए। कंपनी ने यह काम जब किया तब जीजाजी उनके किसी काम के नहीं थे, वह दुनिया छोड़ चुके थे।