क्या सपने देखे थे, लेकिन कहां फंस गया
सार्थक ने दो पेज के सुसाइड नोट में लिखा-जिन उम्मीदों से JEE की तैय्यारी की थी, उनके टूटने के बाद ही सब कुछ खत्म होता चला गया। सोचा था कैम्पस जाऊंगा, मस्ती करूंगा। लेकिन कहां ये ऑनलाइन असाइन्मेंट में फंस गया। शायद टाला जा सकता था। कई लोगों के पास मौका था, लेकिन कुछ नहीं किया। सॉरी! और अब क्या ही बोल सकता हूं।