मुफलिसी में गुजरा था राहत इंदौरी का बचपन, पिता ने ऑटो चलाकर पढ़ाया..परिवार को होना पड़ा था बेघर

इंदौर. करोड़ों दिलों पर राज करने वाले मशहूर शायर और गीतकार राहत इंदौरी का 70 साल की उम्र में निधन हो गया। सोमवार शाम इंदौरी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इस बात की जानकारी उन्होंनें खुद ट्विटर के जरिए दी थी। इसके बाद उन्हें इंदौर के अरबिंदो अस्तपाल में भर्ती कराया गया । जहां इलाज के दौरान उनको तीन हार्ट अटैक आए, इसके बाद मगलवार शाम 5 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें कि उनका जन्म 1 जनवरी को देवास शहर में हुआ था। उनका बचपन मुफलिसी में गुजरा है, राहत साहब के वालिद ने इंदौर शहर में ऑटो तक चलाया और कपड़ा मिल में काम किया है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 11, 2020 1:22 PM IST / Updated: Aug 11 2020, 07:26 PM IST
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मुफलिसी में गुजरा था राहत इंदौरी का बचपन, पिता ने ऑटो चलाकर पढ़ाया..परिवार को होना पड़ा था बेघर

एक वक्त घर से बेघर तक होना पड़ा था
जब देश में आर्थिक मंदी का दौर शुरू हुआ तो मिल मालिक ने उनके पिता रफ्तुल्लाह कुरैशी को नौकरी से निकाल दिया था। दरअसल, 1939 से 1945 तक दूसरे विश्वयुद्ध का असर हमारे देश पर भी पड़ा था, जिसके चलते कई निजी कंपनियों ने लोगों की छटनी कर दी थी। इसमें एक नाम राहत इंदौरी के पिता का नाम भी शामिल था। उनके परिवार की हालत इतनी खराब हो गई थी कि उनको घर से बेघर तक होना पड़ा था। 
 

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ऐसे हुई थी उनकी शायरी पढ़ने की शुरूआत
रहात इंदौरी शुरुआत में इंदौर शहर में एक पेंटर हुआ करते थे, बाद में वह साइन बोर्ड बनाने लगे। लेकिन इसके बाद भी जब कभी उनको समय मिलता तो वह अपने दोस्तों को कुछ शेर और गीत लिखकर सुनया करते थे। उनसे अक्सर उनके दोस्त साइन बोर्ड का काम छोड़कर शायरी लिखने की सलाह देते थे। फिर वह एक दिन इंदौर में आयोजित मुशायरे में गए थे, जहां वह मंच के पास बैठकर धीरे-धीरे कुछ गुन-गुना रहे थे। मंच पर बैठे किसी शायर की नजर उनपर पड़ गई और उनको बुलाकर शेर पेश करने को कहा। फिर क्या था धीरे-धीरे उनकी पहचान देश के फेमस शायरों में होने लगी और शायरी और गीत को ही उन्होंने अपना लक्षय बना लिया।

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राहत इंदौरी ने की हैं दो शादियां
राहत इंदौरी के बचपन का नाम कामिल था, जो बाद में राहतउल्ला कुरैशी पड़ गया। लेकिन उनको असली पहचान डॉ. राहत इंदौरी के नाम ने दिलाई। उनकी मां का नाम मकबूल उन निशा बेगम था। बता दें कि राहत साहब ने दो शादिया की थीं, दोनों पत्नियों के नाम अंजुम रहबर और सीमा रहात है। उनके बेटों का नाम फ़ैसल राहत, सतलज़ राहत और उनकी एक बेटी है, जिसका का नाम शिब्ली इरफ़ान है।


 

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भोपाल  बरकतउल्ला विश्वविद्यालय की थी पढ़ाई
बता दें कि राहत इंदौरी ने 1975 में भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से एमए किया था। इसके बाद यहीं से उन्होंने 1985 भोज विश्वविद्यालय उर्दू साहित्य में पीएचडी भी की थी। राहत की प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई थी, उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी।

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19 वर्ष की उम्र शुरू किया था शायरी लिखना
बता दें कि राहत इंदौरी ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रह चुके हैं। उन्होने महज 19 वर्ष की उम्र में उन्होने शेर-शायरी और गीत लिखना शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे उनकी शायरी देश-विदेश में पसंद की जाने लगी।
 

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