वे कहती हैं कि ‘मैंने ईश्वर से पूछा- ऐसा क्यों किया? मैंने अस्पताल में उसे कहा भी था कि तू चला जा बेटा... हम तुझे आजाद करते हैं। बेटा गौरवपूर्ण गया है। इतनी इज्जत, प्यार और सम्मान मिला है, यही मेरी ताकत है। अपनी किस्मत से आया, अपनी किस्मत से जिया, अपनी किस्मत से लड़ा और अपनी किस्मत से चला गया।’