दरअसल, रविवार सुबह शहीद की पार्थिव देह 11 बजे दिल्ली से भोपाल एयरपोर्ट पर पहुंची। इसके बाद सेना के वाहन से करीब डेढ़ बजे पैरा कमांडो जितेंद्र का शव सीहोर जिले के पैतृक गांव धामंदा। जैसे ही पार्थिव देह गांव में पहुंची तो पूरा गांव अपने हीरो की आखिर झलक देखने के लिए उमड़ पड़ा। हर कोई अपने जांबाज का चेहरा देखना चाहता था। इसके बाद शाम करीब 4 बजे परिजनों ने अंतिम संस्कार किया। इसके लिए लकड़ी की जगह ज्यादातर गोबर के कंडों का उपयोग किया।