चल मुसाफिर तेरी मंजिल दूर है तो क्या हुआ, आज तेरे पांव थककर चूर हैं तो क्या हुआ, 10 इमोशनल तस्वीरें

मुंबई. महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शुक्रवार तड़के 5.15 बजे पटरियों पर सोये थके-मांदे मजदूरों को मालगाड़ी के कुचलने की घटना लॉकडाउन में सरकार की नाकामी को दिखाती है। ये 21 मजदूर काम-धंधा बंद होने के बाद जालना से पैदल ही मध्य प्रदेश के शहडोल को अपने घरों के लिए निकले थे। इनमें से 16 लोगों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। ये मजदूर लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन जब तीसरी बार लॉकडाउन बढ़ा, तो इनके भूखे-मरने का नौबत आ गई। तमाम कोशिशों के बावजूद जब उन्हें घर वापसी का कोई इंतजाम नहीं दिखा, तो वो पैदल ही घर को निकल पड़े थे। हादसा औरंगाबाद के कर्मार्ड के नजदीक हुआ।

(पहली तस्वीर औरंगाबाद ट्रेन हादसे के बाद पटरी पर बिखरीं मजदूरों की रोटियों की हैं, दूसरी तस्वीर गुरुग्राम है। सैंडल ठीक से घर पहुंचा दें, इसके लिए महिला उसे प्लास्टिक रस्सी से बांधते हुए।)

Asianet News Hindi | Published : May 8, 2020 8:49 AM IST
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चल मुसाफिर तेरी मंजिल दूर है तो क्या हुआ, आज तेरे पांव थककर चूर हैं तो क्या हुआ, 10 इमोशनल तस्वीरें

पैदल चलकर थके-मांदे मजदूर पटरियों पर ही सो गए थे। चूंकि ट्रेनों का आवागमन इस समय बंद है, इसलिए मजदूरों को इसकी आशंका नहीं थी कि कोई भी गाड़ी पटरी पर आएगी। लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि सामान की ढुलाई के लिए मालगाड़ियां चलाई जा रही हैं। ये मजदूर जालान से भुसावल की ओर जा रहे थे। यहां से ये शहडोल को रवाना होते। इस घटना ने लॉकडाउन में फंसे हजारों मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने में राज्यों की सरकारों की नाकामी साबित कर दी है। आगे देखिए ऐसे ही कुछ मजदूरों की तस्वीरें..जो सिर पर घर-गृहस्थी और गोद में बच्चा उठाये पैदल ही अपने घरों को जा रहे हैं..

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 इन गरीबों को कुछ समझ नहीं आ रहा कि सरकार उनकी मदद क्यों नहीं कर रही?

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 क्या सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती कि इस गरीबों को उनके घर तक सही तरीके से पहुंचा सके।

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यह तस्वीर गुरुग्राम की है। इस तरह बोझ उठाकर मीलों चलना है अभी इन्हें।

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यह तस्वीर नोएडा की है। थककर आराम कर रही मां के पास बैठा बच्चा। उसे नहीं मालूम कि मां कहां जा रही हैं।

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गोद में मासूम को लेकर महिला पैदल ही घर के लिए निकल पड़ी है।

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यह तस्वीर नोएडा की है। एक मजदूर को यूं घर और गृहस्थी का बोझ ढोना पड़ेगा, उसने कभी नहीं सोचा था।

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यह तस्वीर गुरुग्राम की है। इन मासूमों को नहीं मालूम कि घर के लिए और कितना पैदल चलना होगा।
 

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यह तस्वीर कोलकाता है। इस महिला के पास न घर है और न कोई ठिकाना।

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यह तस्वीर अमृतसर की है। कंधे पर बोझ उठाकर पैदल अपने घर की ओर जाता मजदूर।

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