'औरत होकर दारू बेचती हो'? लाख ताने सुनकर भी अपना खुद का बार खोल बैठी ये महिला

मुंबई. भारतीय समाज में बहुत सी चीजों को महिलाओं के लिए प्रतिबंधित किया हुआ है। कहा जाता है कि, शराब, सिगरेट जैसी चीजों से महिलाओं को दूर ही रहना है वो क्या है न शराब और सिगरेट से पुरूषों के लीवर फेफड़े खराब होते हैं लेकिन महिलाओं का चरित्र। जिस समाज में महिलाओं को शराब के नाम पर ही अचरज भरी नजरों से देखा जाता हो वहां एक महिला बार टेंडर बन गई और 20 साल से खुद का बार टेडिंग स्कूल चला रही है। ये कहानी है भारत की पहली फीमेल बार टेंडर शतभि बसु की जिन्होंने एक अलग प्रोफेशन चुनने की अपने संघर्ष की कहानी साझा की है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 21, 2019 2:00 PM IST / Updated: Dec 21 2019, 07:42 PM IST

17
'औरत होकर दारू बेचती हो'? लाख ताने सुनकर भी अपना खुद का बार खोल बैठी ये महिला
तीन दशक से ज्यादा अनुभव के साथ शतभि बसु को भारत में बारटेंडिंग की एंबेसडर के रूप में जाता है। उन्होंने बताया कि, वह बचपन से काफी आजाद किस्म की फैमिली में पली-बढ़ी थी। उन्होंने इसलिए बढ़ती उम्र में ही शेफ बनने का सोच लिया था पर किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था।
27
वह शेफ बनने के लिए होटल मैनेजमेंट का कोरस करने लगीं। उन्होंने लाख कोशिश की लेकिन कोई उस समय उन्हें यह सिखाने को तैयार ही नहीं था। कोई नहीं चाहता था किसी होटल की शेफ कोई महिला हो? कितनी अजीब बात है कि घर में महिलाएं ही खानमा बनाएं लेकिन जब बात प्रोफेशन की आए तो पुरूष आगे रहें।
37
खैर शतभि ने हार नहीं मानी और रिजेक्ट होते हुए भी कोशिश करती रहीं कि शेफ बन जाएं। उनका मैनेजर उन्हें रोज डांटता पर एक दिन उसने पूछा कि क्या आप बार संभालना चाहेंगे? शतभि के लिए ये किसी गोल्डन चांस से कम नहीं था वो शेफ बनने का रास्ता साफ करने के लिए बर टेंडर बन गई लेकिन आता कुछ नहीं था।
47
उन्होंने बार टेंडिग के बारे में पढ़ा और सीखा। किस्मत खुली और वह उसी बार की मैनेजर घोषित कर दी गईं। फिर उन्होंने पहली बार टेंडर महिला का खिताब हासिल किया। उन्हें लोगों के लिए ड्रिंक्स बनाना और वाइन के मैन्यू तैयार करना अच्छ लगने लगा।
57
शतभि ने एक समय बाद काम से ब्रेक लिया, उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया और भारतशतभि ने एक समय बाद काम से ब्रेक लिया, उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया और भारत में बार टेंडर महिलाओं को लेकर खराब सोच बदलने की भी ठान ली। उन्होंने महिलाओं के लिए बार टेंडिग पर ब्लॉग लिखे और फिर एक दोस्त की मदद सेबार टेंडर ट्रेनिंग क्लास भी शुरू की। में बार टेंडर महिलाओं को लेकर खराब सोच बदलने की भी ठान ली। उन्होंने महिलाओं के लिए बार टेंडिग पर ब्लॉग लिखे और फिर एक दोस्त की मदद सेबार टेंडर ट्रेनिंग क्लास भी शुरू की।
67
आज वह 20 साल से बच्चों को बार टेंडिग सिखा रही हैं लेकिन अफसोस उनकी कोई लड़की स्टूडेंट बार टेंडर नहीं बनी है क्योंकि भारतीय समाज में ये काम महिलाओं के लिए सम्मानजनक नहीं है।
77
लोग उनके सामने कहते हैं कि औरत होकर शराब बेचोगी और अपनी बेटियों को बार टेडिंग का कोर्स नहीं करने देते। ये सारे ताने उन्हें भी सुनने को मिले थे लेकिन उन्होंने अपने सपने को साकार किया। शतभि बताती हैं कि जिन लड़कियों ने ये कोर्स सीखा वो बाद में कुछ और प्रोफेशन में चली गईं। उनके बार में भी अधिकतर पुरूष ही पीने आते थे। बहरहाल बासु अपनी मेहनत और कुछ अलग करने के दम पर बार टेंडर बनी थीं। मुंबई में अपनी खुद की बार्टिंग एकेडमी चलाती हैं। उन्हें स्टिर एकेडमी ऑफ़ बार्टिंग कहा जाता है। उन्होंने दैनिक समाचार और मैग्जीन में इसके लिए कॉलम भी लिखे और टेलीविजन शो होस्ट किए। वह पहली भारतीय व्हिस्की एंबेसडर भी हैं।
Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos