महाराष्ट्र ही नहीं इन 7 राज्यों में भी आया सियासी सकंट, जानें तब किस स्टेट ने कैसे निकाला हल

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से चल रही सियासी उठापटक थमने का नाम नहीं ले रही है। आए दिन कुछ न कुछ नया ड्रामा खड़ा हो जाता है। इस सियासी संकट के बीच डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल ने शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य करार दे दिया। बागी विधायकों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा दी, जिस पर सोमवार को सुनवाई होना है। बता दें कि महाराष्ट्र के सियासी संकट की तरह ही पहले भी अलग-अलग राज्यों में इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। जानते हैं किन-किन राज्यों में मचा सियासी घमासान और कैसे निकला उसका समाधान। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 27, 2022 8:07 AM IST / Updated: Jun 29 2022, 12:31 PM IST
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महाराष्ट्र ही नहीं इन 7 राज्यों में भी आया सियासी सकंट, जानें तब किस स्टेट ने कैसे निकाला हल

मध्य प्रदेश : जब कमलनाथ सरकार के 22 विधायकों ने दिया इस्तीफा
अप्रैल 2020 में मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के खिलाफ कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। तब राज्यपाल लालजी टंडन ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सरकार बनाने का न्योता भेजा। इस पर कांग्रेस विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और कहा कि राज्यपाल का बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता देना असंवैधानिक है। इस पर शीर्ष कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कहा। लेकिन कमलनाथ ऐसा नहीं कर पाए और उन्हें हटना पड़ा।  

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उत्तर प्रदेश :  जब अचानक चली गई कल्याण सिंह की कुर्सी : 
21 फरवरी, 1998 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने सीएम कल्याण सिंह को बर्खास्त करते हुए जगदंबिका पाल को सरकार बनाने का न्योता दिया। तब जगदंबिका पाल कल्याण सरकार में ही परिवहन मंत्री थे। जगदंबिका पाल ने कुर्सी छीनने के लिए विपक्षी नेताओं से भी सांठगांठ की थी। हालांकि, कल्याण सिंह की बहाली के लिए सभी बीजेपी नेता इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्यपाल रोमेश भंडारी के आदेश पर रोक लगा दी और कल्याण सिंह को फिर मुख्यमंत्री बनवा दिया। हालांकि, बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने 26 फरवरी, 1998 को कल्याण सरकार से विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा। उन्होंने ऐसा किया और दोबारा मुख्यमंत्री बन गए।

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गोवा : फ्लोर टेस्ट में पास हुई पर्रिकर सरकार 
गोवा में 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद वहां की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया। इस पर कांग्रेस राज्यपाल  फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। कांग्रेस का कहना था कि बीजेपी छोटे दलों के समर्थन का दावा कर रही है, लेकिन वो उसे समर्थन नहीं दे रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे के अंदर बहुमत सिद्ध करने का आदेश दिया। इसमें बीजेपी जीत गई और मनोहर पर्रिकर एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। 

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कर्नाटक : सियासी संकट के बीच येदियुरप्पा सरकार ने साबित किया बहुमत 
2018 में कर्नाटक के तत्कालीन राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता भेजा। येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया। इस पर कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। उनका कहना था कि बहुमत सिद्ध करने के लिए 15 दिनों का वक्त देने से विधायकों की खरीद-फरोख्त हो सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया। बाद में येदियुरप्पा सरकार ने बहुमत साबित कर दिया।  

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उत्तराखंड : जब हरीश रावत सरकार पर गहराया राजनीतिक संकट 
2016 में उत्तराखंड में कांग्रेस के हरीश रावत की सरकार पर भी सियासी संकट आ गया था और वो अल्पमत में पहुंच गई थी। दरअसल, तब कांग्रेस के 9 विधायक बागी होकर बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसके लिए सीएम हरीश रावत को बहुमत सिद्ध करने के लिए 5 दिन का वक्त दिया गया था। मुख्यमंत्री हरीश रावत को बहुमत साबित करने के लिए पांच दिन का समय दिया गया था। ये फ्लोर टेस्ट होता, इससे पहले ही राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र ने यहां राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर दी, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्वीकार कर लिया था। बाद में इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को गलत ठहराया। इस पर केंद्र ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया और बाद में हरीश रावत सरकार बहाल हो गई। 

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झारखंड : जब 9 दिन के लिए सीएम बन गए शिबू सोरेन 
2005 में यहां बीजेपी ने बहुमत होने की बात कही थी। लेकिन तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन को सीएम बनवा दिया। इसके साथ ही राज्यपाल ने जूनियर विधायक को प्रोटेम स्पीकर बना दिया था। राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ बीजेपी के अर्जुन मुंडा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट ने इस मामले में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया। शिबू सोरेन विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाए और 9 दिन में ही उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी। इसके बाद अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी। 
 

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बिहार : ज्यादा सीटें जीतने पर भी जब सीएम बन गए नीतीश कुमार
मार्च 2000 में लालू यादव की पार्टी जनता दल को सबसे ज्यादा सीट मिलीं। लेकिन इसके बाद भी तत्कालीन राज्यपाल विनोद चंद्र पांडेय ने नीतीश कुमार को सरकार बनाने का न्योता दिया। नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ भी ले ली। लेकिन बाद में जब कोर्ट ने बहुमत सिद्ध करने का आदेश दिया तो नीतीश कुमार ऐसा नहीं कर पाए। इसके बाद 8 दिन में ही उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा था।

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