मुंबई का वो डॉन जिसने कभी नहीं उठाई बंदूक, हीरोइनों का रहा दीवाना, पढ़ें पूरी कहानी
मुंबई. हाल में शिवसेना सांसद संजय राउत ने बरसों से ठंडी आग को हवा दे दी है। राउत ने खुलासा किया कि, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मुंबई डॉन से अच्छे रिश्ते हुआ करते थे। राउत ने दावा किया, इंदिरा गांधी मुंबई में पुराने डॉन करीम लाला से मिलने आती थीं। अब इस बीच मुंबई के डॉन लगातार सुर्खियों में है। करीम लाला जिस शख्स के अंडर काम करता था हम आज आपको उसकी कहानी सुनाने जा रहे हैं। कैसे एक मामूली साइकिल मरम्मत की दुकान चलाने वाला मस्तान एक दिन लंबी गाड़ियों से घूमेगा और पूरी मुंबई उसके इर्द गिर्द घूमेगी। उसपर फिल्में बनेंगी। इस डॉन के आगे न सिर्फ देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बल्कि पूरा बॉलीवुड संपर्क में रहता था। हाजी मस्तान की के डॉन से देवता बनने की ये कहानी काफ दिलचस्प है।
Asianet News Hindi | Published : Jan 17, 2020 11:33 AM IST / Updated: Jan 17 2020, 05:08 PM IST
बात साल 1926 की है, हाजी मस्तान तमिलनाडु का रहने वाला था। जब वो आठ साल का था तभी मुंबई पहुंचा था और काम धंधा शुरू कर दिया। पहले साइकिल की दुकान खोली और फिर डॉक पर कुली बन गया। यहां उसकी दोस्ती एक अरब शेख ग़ालिब से हुई जो तस्कर था। इस अरब शेख ने मस्तान की किस्मत पलट दी।
दरअसल ग़ालिब जब तीन साल जेल की सज़ा काट कर वापस लौटा। उसके पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं थी। मस्तान ग़ालिब को मदनपुरा की एक झोपड़ी में ले गए जहां उन्होंने उसे वो सोने के बिस्कुट से भरा लकड़ी का बक्सा दिखाया, जो अभी तक खोला तक नहीं गया था और उनके पास सुरक्षित था। ''ग़ालिब सोने के बिस्कुटों से भरा बक्सा देख कर अवाक रह गया। ग़ालिब ने पूछा, तुम चाहते तो इन बिस्कुटों को लेकर फ़रार हो सकते थे।
मस्तान ने जवाब दिया, मेरे पिता ने मुझे सिखाया था कि तुम हर एक से बच सकते हो, लेकिन ईश्वर से कभी नहीं।'' ये सुनते ही ग़ालिब की आखों में आंसू आ गए। उसने कहा कि मैं इस बक्से को तभी स्वीकार करूंगा, अगर तुम इसको बेच कर मिलने वाली रकम का आधा हिस्सा मुझसे लोगे और इस पेशे में मेरे 'पार्टनर' बन जाओगे। मस्तान मान गए और इस बक्से ने हाजी मस्तान की ज़िंदगी बदल दी और वो रातों-रात लखपती बन गये। यही से मस्तान की तस्कर वाली जिंदगी शुरू हो गई।
मुंबई अंडरवर्ल्ड पर चर्चित किताब 'डोंगरी टू दुबई' के लेखक एस हुसैन ज़ैदी बताते हैं, मस्तान की इज़्ज़त में और इज़ाफ़ा तब हुआ जब उन्होंने 'मझगांव डॉक' पर कुलियों से हफ़्ता वसूल करने वाले स्थानीय गुंडे शेर ख़ां पठान की पिटाई करवा दी। बाद में अमिताभ बच्चन की मशहूर फ़िल्म 'दीवार' में इस दृश्य को फ़िल्माया गया था। हालांकि मस्तान ने कभी खुद कभी बंदूक या पिस्तौल नहीं चलाई थी। उसने कभी किसी की जान नहीं ली। वो इन कामों को वर्दराजन मुदालियार और करीम लाला जैसे 'गैंग्सटर' से करवाता था। (सुपरस्टार दिलीप कुमार के साथ मस्तान)
कुलियों के सपोर्ट से मस्तान काफी बड़ा डॉन बन चुका था। उसने पठानों और दाऊद इब्राहीम के गैंग के बीच सुलह करवाकर रूतबा बढ़ा लिया। मस्तान की रईसी और रौब को लेकर जनता में ढींगे हांकी जाती थीं। लोग कहते थे हाजी मस्तान एक ऐसे बंगले में रहता है जिसमें 365 दरवाज़े हैं। हर रोज़ वो एक नए दरवाज़े से बाहर निकलता है, जहां एक कार उसका इंतज़ार करती है. वो सिर्फ़ एक बार उस कार का इस्तेमाल करता है और उसे बेच कर मिलने वाले पैसों को ग़रीबों में बांट देता है।
मस्तान के पास 70 के दशक में भी मर्सडीज बेन्ज जैसी लग्जरी कारें मौजूद थीं। पर जब डॉनगिरी जाने लगी तो मस्तान उस समय 15 साल पुरानी फ़ियेट कार इस्तेमाल करने लगा। बंगला ज़रूर था लेकिन इतना बड़ा नहीं जिसमें 365 दरवाज़े हों। पर मस्तान को अपने बारे में ये अफवाहे अच्छी लगती थीं।
हाजी मस्तान का बॉलीवुड कनेक्शन भी काफी चर्चा में रहा। हालांकि सितारे कभी खुलकर उसके समर्थन में नहीं आए। मधुबाला के फैन मस्तान ने न सिर्फ कई फ़िल्में भी बनाई बल्कि एक 'स्ट्रगल' कर रही अभिनेत्री से शादी भी कर ली। (पत्नी सोना, आशा भोंसले और बप्पी लहरी के साथ हाजी मस्तान)
शादी करने की वजह थी कि वो हीरोइन मधुबाला जैसी दिखती थी। वीणा शर्मा उर्फ़ 'सोना' नाम की अभिनत्री को मस्तान ने शादी का पैग़ाम भिजवाया, जिसे उन्होंने तुरंत स्वीकार कर लिया था।
फिल्मी दुनिया के कई लोग मस्तान के करीबी थे। राज कपूर, दिलीप कुमार और संजीव कुमार जैसे अभिनेता से मस्तान की गहरी दोस्ती और उठ-बैठ थी। 'दीवार' बनने के दिनों में उसके लेखक सलीम और अमिताभ बच्चन बाबा से अक्सर मिलने आया करते थे, ताकि वो उस किरदार की गहराई तक जा सके। अगर कोई डॉन मस्तान से अंग्रेज़ी में बात करता था तो वो उससे बार-बार 'या, या' कहा करते थे।'' (एक फिल्मी समारोह में दिलीप साहब के साथ मस्तान)
हाजी मस्तान पूरी मुंबई पर राज करने लगा। तब 1974 में इंदिरा गांधी ने हाजी मस्तान को पहली बार 'मीसा' के अंतर्गत गिरफ़्तार करवाया था। 1975 में आपातकाल के दौरान भी हाजी मस्तान को सलाखों के पीछे रखा गया। जेल से छूटने के बाद मस्तान ने जयप्रकाश नारायण से मुलाकात की और राजनीति में आ गए। उन्होंने 'दलित मुस्लिम सुरक्षा महासंघ' नाम की एक पार्टी भी बनाई।
वे अपनी साख को धोने में लग गए और डॉन से देवता बनने की हर कोशिश की। हज यात्रा करने के बाद अपने नाम के आगे हाजी लगा लिया। दलित-मुस्लिम एकता की बातें की। मस्तान ऑल इंडिया दलित मुस्लिम सुरक्षा महासंघ का अध्यक्ष बनाए गए थे। (राजनीति में उतरने के बाद जनता को संबोधित करते हुए डॉन मस्तान)
9 मई, 1994 को 68 सा की उम्र में मुंबई के इस डॉन की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। हालांकि फिल्मी हस्तियों में से कोई शोक समारोह में नहीं गया। एक बात और फिल्म वंस अपोन ए टाइम इन मुंबई में अजय देवगन ने हाजी मस्तान का किरदार निभाया है।