5 आतंकियों ने लोकतंत्र के मंदिर को बनाया था निशाना, तस्वीरों में देखें कैसे 45 मिनट तक मची थी तबाही

नई दिल्ली. 13 दिसंबर, 2001 का दिन हर भारतीय को जीवन भर याद रहेगा। दरअसल, इस दिन ही आतंकियों ने लोकतंत्र के मंदिर को निशाना बनाया था। इस हमले में 9 लोग मारे गए थे। दिल्ली पुलिस के छह जवान, दो संसद सुरक्षा सेवा के जवान और एक माली मृतकों में शामिल थे। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। हालांकि, सुरक्षाबलों ने हमले को अंजाम देने वाले सभी 5 आतंकियों को ढेर कर दिया था। आईए जानते हैं उस दिन कैसे आतंकियों ने 45 मिनट तक तबाही मचाई थी। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 13, 2020 8:05 AM IST
16
5  आतंकियों ने लोकतंत्र के मंदिर को बनाया था निशाना, तस्वीरों में देखें कैसे 45 मिनट तक मची थी तबाही

संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था। सभी सांसद मौजूद थे। उसी वक्त किसी हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही को 40 मिनट तक स्थगित किया गया था। उसी समय संसद के बाहर गोलियां चलने लगीं। लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर पर आतंकियों ने हमला कर दिया था। 

26

आतंकी सफेद कार से संसद में दाखिल हुए थे। आतंकियों ने करीब 40-45 मिनट तक गोलियां बरसाईं। इस हमले में दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे। जिस समय यह हमला हुआ तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और करीब 200 सांसद संसद भवन में मौजूद थे। 

36

आतंकियों की सफेद कार देखकर उपराष्ट्रपति का इंतजार कर रहे सुरक्षाकर्मी उस ओर भागे। सुरक्षाकर्मियों को तेजी से अपनी ओर आता देख कार चला आतंकी अपनी गाड़ी को गेट नंबर एक की तरफ मोड़ देता है। गेट नंबर एक और 11 के पास ही उपराष्ट्रपति की कार खड़ी थी। आतंकियों की गाड़ी सीधे उपराष्ट्रपति की कार से टकरा गई।  

46

गाड़ी टकराने के बाद आतंकी कार से निकले और अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी। सभी के पास एके-47 थी। आतंकियों के कंधों पर बैग थे। यह पहला मौका था, जब आतंकियों ने सीधे तौर पर देश को ललकारा था। पूरा संसद परिसर गोलियों की आवाज से गूंज रहा था। 

56

आतंकियों को रोकने की कोशिश कर रहे चार सुरक्षाकर्मी इस हमले में सबसे पहले शहीद हुए। इसके बाद सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला। तुरंत ही अंदर जाने के सभी द्वार बंद कर दिए गए। करीब 30 मिनट चली कार्रवाई में सुरक्षाकर्मियों ने सभी आतंकियों को ढेर कर दिया था। अगस्त 2003 में संसद पर हमले का मुख्य आरोपी गाजी बाबा को श्रीनगर में सुरक्षाकर्मियों ने एनआउंटर में मार गिराया था।

66

वहीं, इस हमले में दोषी ठहाए गए अफजल गुरू को 9 फरवरी 2013 को सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी। जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एसएआर गिलानी को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने बरी कर दिया था। 2019 में दिल का दौरा पड़ने से गिलानी की मौत हो गई।  

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos