कोरिया के महाराज ने किया था भारत के अंतिम चीते का शिकार, इससे तेज नहीं भागता दुनिया का कोई और जानवर

नई दिल्ली। भारत के जंगल में 70 साल बाद चीते की वापसी हुई। 1948 में छत्तीसगढ़ की कोरिया रियासत के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने बैकुंठपुर से लगे जंगल में तीन चीतों का शिकार किया था। ये देश के आखिरी चीते थे। 1952 में घोषणा की गई थी कि भारत में कोई चीता नहीं है। नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया है। आठ चीतों में पांच मादा और तीन नर शामिल हैं। मादाओं की उम्र दो से पांच साल के बीच है, जबकि नर चीतों की उम्र 4.5 साल और 5.5 साल है। आगे पढ़ें चीतों के बारे में खास बातें...

Asianet News Hindi | Published : Sep 17, 2022 4:09 AM IST / Updated: Sep 17 2022, 12:39 PM IST
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कोरिया के महाराज ने किया था भारत के अंतिम चीते का शिकार, इससे तेज नहीं भागता दुनिया का कोई और जानवर

चीता का वैज्ञानिक नाम एसिनोनिक्स जुबेटस है। यह जमीन पर रहने वाला दुनिया का सबसे तेज जानवर है। यह 3 सेकंड में शून्य से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ सकता है। इतनी तेजी से स्पीड स्पोर्ट्स कारें भी नहीं पकड़ पातीं। चीता अपनी तेज रफ्तार केवल 30 सेकंड तक बनाए रख सकते हैं। उनके लिए यह समय शिकार पकड़ने के लिए पर्याप्त होता है। 
 

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कुदरत ने चीता को रफ्तार के लिए बनाया है। शरीर की बनावट इसे तेजी से दौड़ने में मदद करती है। लचीली रीढ़ और छोटे कॉलरबोन के चलते यह बाघ या जगुआर की तुलना में लंबी छलांग लगा पाता है। इतनी तेज रफ्तार से दौड़ते वक्त शिकार पर नजर बनाए रखना कठिन होता है। चीता की आंखों में लम्बी रेटिनल फोविया होती है, जिससे इसकी नजर काफी तेज होती है। 
 

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स्मिथसोनियन नेशनल जू एंड कंजर्वेशन बायोलॉजी इंस्टीट्यूट के अनुसार चीतों की विशेषता उनके पतले लंबे पैरों वाले शरीर के साथ खास तरह के पंजे होते हैं। दौड़ते वक्त लंबे और मजबूत नाखून चीता को अच्छी ग्रिप देते हैं। चीता के सिर का आकार छोटा और आंखें बड़ी होती हैं। वयस्क चीते पीले और भूरे रंग के होते हैं। इनके शरीर पर काले रंग के गोल या अंडाकार धब्बे होते हैं। पूंछ पर चार से छह काले छल्ले होते हैं। ये खास पैटर्न चीता को सवाना के लिए बहुत अधिक अनुकूल बनाते हैं। यह अपने अच्छे छलावरण के चलते छिपकर शिकार के लिए घात लगा पाता है। 
 

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तेंदुआ को देखकर बहुत से लोग इसे चीता समझ लेते हैं, लेकिन दोनों जानवरों में काफी अंतर होता है। चीता का शरीर हल्का और छरहरा होता है। दूसरी ओर तेंदुआ का शरीर गठीला होता है। चीता और तेंदुआ के रंग में काफी समानता है। दोनों के शरीर पर काले धब्बे होते हैं। चीता के चेहरे पर आंख के नीचे काली धारी होती है। तेंदुआ के चेहरे पर ऐसी धारी नहीं होती। 

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चीता भले दुनिया का सबसे तेज जानवर हो, लेकिन यह सबसे शक्तिशाली नहीं होता। जंगल में इसे बाघ, शेर, तेंदुआ और हाइना जैसे जानवरों से कड़ी चुनौती मिलती है। ये जानवर चीते से उसका शिकार छीन लेते हैं। शिकार करने के बाद चीता की कोशिश जल्द से जल्द उसे खा लेने की होती है। बड़े जानवर से चुनौती मिलने पर यह लड़ने के बदले पीछे हट जाता है।
 

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रफ्तार के मामले में चीतों का निकटतम प्रतिद्वंद्वी जगुआर है। जगुआर 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है। चीता अफ्रीकी सवाना में पाए जाते हैं। वहीं, जगुआर ज्यादातर झीलों, नदियों और उष्णकटिबंधीय निचले इलाकों में रहते हैं। जगुआर दक्षिण-पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका से अर्जेंटीना के घास के मैदानों में पाए जाते हैं।

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