नई दिल्ली. दिल्ली में हिंसा को रुके करीब 2 दिन हो चुके हैं। लेकिन अभी भी मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है। मलबे और नालों से लाशें निकल रही हैं। वहीं, अस्पताल में 300 से ज्यादा लोग भर्ती हैं। अभी 1984 के सिख विरोधी दंगों का दुख कम भी नहीं हुआ था कि दिल्ली का यह दंगा एक बार फिर ऐसे जख्म दे गया, जिन्हें सालों तक भुलाया नहीं जा सकेगा। दो गुटों में झड़प से शुरू ये दंगा हजारों लोगों को जीवन भर का दुख दे गया। इस हिंसा में किसी ने अपना बेटा खोया तो किसी ने अपना पिता। रोते हुए आंखों से गिरते हुए आंसू इस बात के गवाह हैं कि इन दंगों में ना हिंदू मरा है, ना मुस्लिम। इन दंगों में हमने एक बार फिर मानवता को मरते हुए देखा है।