नई दिल्ली. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को रोकने के लिए दायर याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। यानी प्रोजेक्ट पर काम चलता रहेगा। इसके साथ ही याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। हाईकोर्ट ने सोमवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कहा कि यह एक प्रेरित याचिका है, यानी इसे जनहित याचिका नहीं माना जा सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर भी सवाल उठाए। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रोजेक्ट को रोकने जनहित का बहाना बनाया है। यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। हाईकोर्ट ने यह भी जोड़ा कि देशहित में यह प्रोजेक्ट जरूरी है। बता दें कि याचिकाकर्ता आन्या मल्होत्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोरोना महामारी के मद्देनजर इस प्रोजेक्ट को रोकने की मांग उठाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी देने के बावजूद सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर राजनीति चरम पर थी। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर चल रहे विवाद को विराम लग गया है। 22 लाख वर्गफीट पर बनने जा रहे करीब 13000-15000 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट को लेकर विपक्षी दल शुरू से ही हल्ला मचाते आ रहे हैं। वे कोरोना संक्रमण में भारत की गड़बड़ाई अर्थव्यवस्था का हवाला देकर इसे रोकने की मांग करते आ रहे थे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कई विपक्षी नेता अभी इस प्रोजेक्ट को रोकने के फेवर में थे। विपक्षी नेताओं ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट से भी अनुरोध किया था। लेकिन HC ने कहा था कि अगर इस मामले में जल्द सुनवाई चाहते हैं, तो दिल्ली हाईकोर्ट जाएं। आइए जानते हैं क्या है ये प्रोजेक्ट....