शाहीन बाग, गोली मारो से लेकर हनुमानजी तक; इन 10 चीजों के लिए सालों तक जहन में रहेगा दिल्ली चुनाव
नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव के 11 फरवरी को नतीजे आएंगे। 8 फरवरी को राज्य की 70 सीटों पर मतदान हुआ था। हर चुनाव की तरह ही दिल्ली में भी आरोप प्रत्यारोप की राजनीति देखने को मिली। केंद्र की भाजपा और दिल्ली की सत्ताधारी आप ने एक दूसरे पर जमकर निशाना साधा। वहीं, कांग्रेस ने भी समय समय पर आम आदमी पार्टी और भाजपा पर हमला बोला। लेकिन इस चुनाव में हमें 10 ऐसी नई चीजें भी देखने को मिलीं जो लंबे समय तक जनता के जहन में रहेंगी।
1- शाहीन बाग- दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा कोई मुद्दा छाया रहा तो वो था शाहीन बाग। भाजपा ने लगातार इसी मुद्दे पर अपना चुनाव लड़ा। वहीं, केजरीवाल इस मुद्दे से बचते दिखे। हालांकि, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि वे शाहीन बाग का समर्थन करते हैं। इसके बाद से भाजपा और आप एक दूसरे को शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराते रहे। पीएम मोदी ने एक रैली में कहा था कि नागरिकता कानून को लेकर जामिया, शाहीन बाग और सीलमपुर में कई दिनों से प्रदर्शन हो रहे हैं। यह प्रदर्शन सिर्फ एक संयोग हैं? नहीं है। इसके पीछे राजनीति का एक ऐसा डिजायन है, जो राष्ट्र के सौहार्द को खंडित करने वाला है।
2- 'फ्री' वाला चुनाव: इसकी शुरुआत सत्ताधारी पार्टी आप ने की। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में 200 यूनिट फ्री बिजली, इसके बाद पानी का बिल माफ, फिर महिलाओं के लिए बसों और मेट्रो में फ्री यात्रा का ऐलान किया। चुनाव ऐलान के बाद भाजपा और कांग्रेस भी इस 'फ्री' वाले चुनाव में कूंदी। भाजपा ने जहां बिजली फ्री को जारी रखने का वादा किया तो कांग्रेस ने 100 यूनिट और फ्री देने का ऐलान किया। इसके अलावा तीनों पार्टियों के घोषणा पत्र में फ्री पानी, फ्री शिक्षा, 2 रुपए किलो आटा, छात्राओं को स्कूटी, साइकिल जैसे वादों की झड़ी लग गई।
3-गोली मारो...को: इस विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के एक बयान पर काफी विवाद हुआ। इस बयान को लेकर उनके प्रचार करने पर भी प्रतिबंध लगाया गया। अनुराग ठाकुर ने एक रैली में नारे लगवाए, देश के गद्दारों को...गोली मारो ...को। इस सभा में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी मौजूद थे।
4- राहुल ने मर्यादा तोड़ी: राहुल गांधी ने दिल्ली के हौजरानी में जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की। उन्होंने कहा था, ये जो जो नरेंद्र मोदी भाषण दे रहा है, 6 महीने बाद ये घर से बाहर नहीं निकल पाएगा. हिंदुस्तान के युवा इसको ऐसा डंडा मारेंगे, इसको समझा देंगे कि हिंदुस्तान के युवा को रोजगार दिए बिना ये देश आगे नहीं बढ़ सकता।''
5- भाजपा सांसद ने केजरीवाल को बताया आतंकी: भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा भी इस चुनाव में अपने विवादित बयानों के चलते काफी चर्चा में रहे। उन्होंने एक जनसभा में केजरीवाल की तुलना आतंकवादी से ही कर दी। चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए उनके प्रचार पर रोक भी लगा दी थी। इसपर पलटवार करते हुए केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने वीडियो भी जारी किए।
6- हनुमान जी- दिल्ली विधानसभा चुनाव में हनुमानजी भी काफी चर्चा में रहे। यहां तक की केजरीवाल ने एक इंटरव्यू में हनुमान चालीसा तक पढ़ कर सुनाई। इसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनपर तंज कसा, अभी तो केजरीवाल ने हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू किया है, अभी ओवैसी भी पढ़ेंगे। आगे आगे देखो क्या क्या होता है?
7- सोनिया प्रचार से दूर रहीं: लोकसभा चुनाव के बाद लंबी कशमकश के बाद सोनिया गांधी ने फिर से कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभाली थी। लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में वे हरियाणा की तरह ही प्रचार से दूर रहीं। वे ही नहीं, राहुल गांधी और प्रियंका समेत कांग्रेस के किसी नेता ने चुनाव में दिलचस्पी नहीं दिखाई। दिल्ली में राहुल गांधी ने सिर्फ 4 और प्रियंका ने दो जनसभाएं कीं।
8- पीएम मोदी ने कम जनसभाएं कीं ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी काफी कम सक्रियता दिखाई। उनकी जगह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सक्रिय दिखे। पीएम मोदी ने सिर्फ 2 रैलियां कीं। वहीं, अमित शाह ने 36 जनसभाएं कीं।
9- शाह ने केजरीवाल का चैलेंज स्वीकारा चुनाव प्रचार के दौरान दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को लेकर केजरीवाल ने अमित शाह को चैलेंज दिया था कि वे उनके साथ आकर सरकारी स्कूलों की स्थिति को देखें। एक दिन बाद भाजपा ने अपने सांसदों को भेजकर स्कूलों के वीडियो बनवाए। इस वीडियो को अमित शाह ने जारी कर आप की पोल खोल दी। हालांकि, बाद में इसे लेकर काफी राजनीति हुई और दोनों पार्टियों ने एक दूसरे पर जमकर आरोप लगवाए।
10- दिल्ली में भाजपा ने पहली बार गठबंधन में चुनाव लड़ा सहयोगियों के अलग चुनाव लड़ने से झारखंड में मिली हार से सबक लेते हुए भाजपा ने दिल्ली में पहली बार गठबंधन में चुनाव लड़ा। यहां भाजपा ने एनडीए में सहयोगी रामविलास पासवान की लोजपा को 1 और नीतीश कुमार की जदयू को 2 सीटें दीं।