किताब के हवाले से बताया जाता है कि पढ़ाई छोड़ने के बाद मनमोहन सिंह अपने पिता की दुकान पर हाथ बंटाने लगे लेकिन यहां भी उनका मन नहीं लगा। ऐसे में उन्होंने तय किया कि वो फिर से कॉलेज में पढ़ने जाएंगे। इसके बाद उन्होंने सिंतबर, 1948 में हिंदू कॉलेज में दाखिला लिया। मनमोहन सिंह ने बाद में अर्थशास्त्र को अपना विषय बनाया। उनके मुताबिक, उन्हें गरीब और गरीबी दोनों विषय में दिलचस्पी थी, वो जानना चाहते थे कि कोई देश गरीब क्यों है और कोई अमीर क्यों हो जाता है? इसी जिज्ञासा ने अर्थशास्त्र में उनकी दिलचस्पी जगाई।