नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ाया गया। हालांकि, इस बार लॉकडाउन में कुछ ढीले भी दी गई हैं। इनमें से एक छूट शराब की दुकानों को खोलने की भी है। केंद्र सरकार ने अपनी एडवाइजरी में ग्रीन, ऑरेंज और रेड जोन में कुछ शर्तों के साथ शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दी है। इसी के तहत देश के तमाम शहरों और कसबों में शराब की दुकानें खोली गईं। लेकिन इन दुकानों के खुलने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों की धज्जियां उड़ती नजर आईं। यहां तक की दिल्ली में पुलिस ने सभी शराब की दुकानों को बंद करने का आदेश तक दे दिया। लेकिन सवाल ये है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं तो केंद्र और राज्य सरकार शराब की दुकानों को खोलने के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों दिखा रही है। इसकी वजह है, शराब की बिक्री से राज्य को मिलने वाला राजस्व। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार को 2019-20 में अकेले शराब बिक्री से 26 हजार करोड़ रु राजस्व मिला है। शराब जीएसटी से बाहर है, इसलिए केंद्र सरकार को शराब बिक्री से कोई राजस्व नहीं पहुंचता।