इन जंगलों में 450 साल पहले छिपाया गया था 2500 टन सोना, लोग आज भी कर रहे खजाने की तलाश

नई दिल्ली. भारत में मंदिरों और राजघरानों के पास अकूट संपत्ति रही है। हाल ही में  सुप्रीम कोर्ट ने केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन को लेकर एक फैसला सुनाया। इसमें मंदिर के प्रबंधन का जिम्मा त्रावणकोर राजपरिवार के हाथ में सौंपा गया। इसके बाद से देशभर के मंदिरों में खजाने को लेकर चर्चा शुरू हो गई। भारत में सिर्फ पद्मनाभस्वामी मंदिर ही ऐसा मंदिर नहीं, जो अपने खजाने के लिए चर्चा में रहता हो, बल्कि केरल से कर्नाटक तक ऐसे कई मंदिर है। पद्मनाभस्वामी मंदिर की तरह ही कर्नाटक के विजयनगर साम्राज्य के खजाने की भी चर्चा रहती है। इस खजाने को करीब 450 साल पहले छिपाया गया था। ट्रेजर हंटर्स अभी भी इस खजाने की तलाश में जुटे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jul 17, 2020 11:07 AM IST / Updated: Jul 17 2020, 04:38 PM IST
16
इन जंगलों में 450 साल पहले छिपाया गया था 2500 टन सोना, लोग आज भी कर रहे खजाने की तलाश

कृष्णदेव राय ने 1509 से 1529 के बीच विजयनगरम् साम्राज्य पर शासन किया। हम्पी इसी की राजधानी थी। कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के राज्य इसी साम्राज्य में आते थे। बताया जाता है कि 1565 में मुगलों ने साम्राज्य पर हमला किया था। इन हमलावरों से खजाने की रक्षा करने के लिए राजा कृष्णदेव राय ने खजाना कहीं छिपा दिया था। इसमें करीब 2500 टन सोना था। 

26

इस खजाने की खोज आज भी कर्नाटक के हम्पी से तेलंगाना के हैदराबाद के जंगलों में की जाती है। यहां तक की हैदराबाद सरकार ने कुछ सालों पहले श्रीसैलम पर्वत और नेल्लामाला पर्वत के जंगलों में रात के समय जाने पर प्रतिबंध भी लगा दिया। 

36

इन प्रतिबंधों के बावजूद लोग यहां खजाने खोजने के लिए जाते हैं। 2018 में यहां दो ट्रेजर हंटर्स की भी मौत हो गई थी। हैदराबाद के पास श्रीशैलम् पहाड़ियों में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है। यहीं विजयनगर साम्राज्य का खजाना छिपा है। 
 

46

इसी खजाने की तलाश में यहां कई लोग आते हैं। इन्होंने हम्पी के कई स्मारकों को भी नुकसान पहुंचाया है। ये तमाम सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद यहां खजाने की खोज में पहुंच जाते हैं। 

56

कब हुई थी विजयनगर साम्राज्य की स्थापना
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 में हुई थी। बताया जाता है कि यह राज्य रोम की सभ्यता से भी ज्यादा विकसित था। साम्राज्य में 20 हजार घोड़े, 5 हजार हाथी, पांच लाख नगर सैनिकों समेत 15 लाख की सेना थी।  राजा कृष्णदेव राय विजयनगर के राजाओं में से एक थे। उनके मंत्री तेनालीराम रहे। 

66

कृष्णदेव राय के वक्त विजयनगर में 1800 वैष्णव मंदिर और 200 शैव मंदिर थे। पूरा राज्य में आने जाने के लिए 27 दरवाजे थे। 565 में बहमनी सुलतानों की संयुक्त सेना ने विजय नगर पर कब्जा कर लिया था। करीब 24 वर्ग किलोमीटर इलाके में इस महान सभ्यता के खंडहर हैं। 
 

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos