Published : Jun 19, 2020, 04:47 PM ISTUpdated : Feb 05, 2022, 03:21 PM IST
नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के बाद पूरे देश में गुस्सा है। इस बीच शहीद भारतीय जवानों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट चौंकाने वाली है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जवानों के शरीर पर गहरे जख्मों के निशान थे। हाइपोथर्मिया और एफइक्सीएशन भी कुछ जवानों की मौत का कारण बताया गया है। हमारे शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है। जब ठंड के कारण शरीर अपनी गर्मी ज्यादा तेजी से खोने लगता है तो शरीर का तापमान नीचे गिरने लगता है। यदि यह 35 डिग्री या इससे कम हो जाता है तो इस स्थिति को हाइपोथर्मिया कहते हैं।
15 जून की रात पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। वहीं चीन के भी 40 सैनिक मारे गए हैं। हिंसक झड़प के बाद से ही दोनों देशों में तनाव की स्थिति बनी हुई है।
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पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि शहीदों के चेहरे और दूसरे अंगों पर तेज जख्मों के निशान मिले हैं।
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चीनी सेना ने लद्दाख के गलवान घाटी में संघर्ष के दौरान कील वाली रॉड का इस्तेमाल किया था। अधिकारियों ने बताया कि करीब 17 जवानों के शरीर पर हिंसा के निशान मिले है।
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शुरुआती रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कर्नल संतोष बाबू सहित तीन अन्य भारतीय सैनिकों के शरीर पर जख्मों के निशान नहीं थे। उनके सिर में गहरी चोट लगी थी।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तीन जवानों की मौत नदी में डूबने की वजह से हुई। जबकि अन्य जवानों की मौत गंभीर चोट लगने से हुई है। चीनी सैनिकों की बर्बरता के सबूत तीन जवानों के शव से भी पता चलता है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि उनके चेहरों को पहचानना मुश्किल हो रहा था। उन्होंने चाकू और नुकीली कील को घुसाने की बात से इंकार नहीं किया।
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गलवान घाटी सतह समुद्र से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर है। जिसके चलते यहां का तापमान शून्य डिग्री के करीब होता है।
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झड़प में घायल एक जवान सुरेंद्र सिंह ने बताया था, चीनी सैनिकों ने धोखे से गलवान घाटी से निकलने वाली नदी पर अचानक हमला कर दिया। 4 से 5 घंटे तक दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष चलता रहा।
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सुरेंद्र ने बताया कि हिंसक झड़प के वक्त भारत की तरफ से करीब 2 से ढाई सौ जवान थे, लेकिन चीन पूरी तैयारी में था। उसकी तरफ 1000 जवान थे। पूरे के पूरे जवान भारतीय सैनिकों पर टूट पड़े। लेकिन हमने भी मुंहतोड़ जवाब दिया।
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सुरेंद्र ने बताया, गलवान घाटी की नदी में हाड़- मांस गला देने वाली ठंडे पानी में यह संघर्ष चलता रहा।
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उन्होंने बताया, नदी के किनारे मात्र एक आदमी के लिए निकलने की जगह थी। इसलिए भारतीय सैनिकों को संभलने में परेशानी हुई। लेकिन भारतीय सैनिकों ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया।