राफेल ही नहीं भारत के पास हैं ये 7 धांसू फाइटर जेट, दुश्मन को पलभर में कर सकते हैं तहस नहस

नई दिल्ली. 8 अक्टूबर को 88वां भारतीय वायुसेना दिवस मनाया गया। 1932 में इसी दिन भारतीय वायुसेना की स्थापना हुई थी। 2020 में इंडियन एयरफोर्स के गौरवशाली इतिहास के 88 साल पूरे हो गए हैं। करगिल युद्ध हो या हाल ही में हुई बालाकोट एयरस्ट्राइक, भारतीय वायुसेना की दमखम को पूरी दुनिया ने सराहा। इस साल भारतीय वायुसेना में फ्रांस से खरीदे हुए राफेल भी शामिल हो गए हैं। आईए जानते हैं कि वायुसेना के बेड़े पर कौन कौन से विमान हैं...

Asianet News Hindi | Published : Oct 7, 2020 11:13 AM IST / Updated: Oct 09 2020, 03:05 PM IST

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राफेल ही नहीं भारत के पास हैं ये 7 धांसू फाइटर जेट, दुश्मन को पलभर में कर सकते हैं तहस नहस

राफेल: भारत में हाल ही में फ्रांस से खरीदे गए राफेल विमानों का पहला बेड़ा शामिल हुआ। इन मल्टी रोल फाइटर जेट से भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा हुआ है। चीन और पाकिस्तान से चल रहे विवाद के बीच आए फ्रांस से मिले राफेल की भूमिका और अहम है। एनडीए सरकार ने 2016 में 36 राफेल विमान खरीदने के लिए 59 हजार करोड़ की डील की थी। राफेल में लगी स्कल्प क्रूज, मीटिअर, मीका और हैमर मिसाइल इसे और खतरनाक बनाती हैं।  

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सुखोई -30 एमकेआई
यह रूसी विमान 2002 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ। सुखोई -30 एमकेआई हवा से हवा और जमीन पर मार करने में सक्षम है। यह ट्विन इंजन और ट्विन सीटर मल्टीरोल एयरक्राफ्ट है। यह अपने साथ 8000 किग्रा भार के हथियार ले जाने में सक्षम है। सुखोई अपने साथ मीडियम रेंज गाइडेड एयर टू एयर मिसाइल ले जा सकता है। इसकी अधिकतम स्पीड 2500 किमी प्रति घंटा है। लंबाई से लेकर रेंज और मिसाइल ले जाने के मामले में इसे अमेरिका के एफ-16 से भी बेहतर माना जाता है। भारत के पास मौजूदा वक्त में 200 सुखोई विमान हैं। 

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मिराज 2000  
मिराज 2000 अत्याधुनिक विमान है। इसे राफेल बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट ने ही बनाया है। मिराज की अधिकतम रफ्तार 2000 किमी है। इसकी लंबाई 47 फीट और वजन 7500 किलो है। मिराज 13,800 किलो गोला बारूद के साथ 2,336 किलोमीटर की गति से उड़ान भर सकता है। मिराज डबल इंजन वाला चौथी पीढ़ी का मल्टीरोल लड़ाकू विमान है। भारत ने 80 के दशक में खरीदने के लिए इसका ऑर्डर दिया था। करगिल युद्ध में मिराज ने अहम भूमिका निभाई थी। साल 2015 में मिराज को अपग्रेड किया गया। इसमें नए रडार और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम भी लगाए गए हैं। इससे इसकी मारक क्षमता में भी इजाफा हुआ है। भारतीय वायुसेना में अभी 57 मिराज हैं। इन्हीं मिराज विमानों से बालाकोट एयरस्ट्राइक को अंजाम दिया गया था। 

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MiG-29
मिग-29 को हाल ही में अपग्रेड किया गया है। इससे यह और भी घातक हो गया है। मिग 21 को 1985 में खरीदा गया था। मिग 29 को भारत में सुखोई 30 के बाद दूसरा सबसे खतरनाक लड़ाकू विमान माना जाता था। मिग 29 विमान 2000 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। इसकी मारक क्षमता 1400 किमी है। इसमें अब आसमान में रिफ्यूलिंग हो सकती है। इसके अलावा नई मिसाइलें भी लगाई गई हैं। यह ट्विन इंजन फाइटर जेट है। अब इसकी अधिकतम स्पीड 2445 किमी प्रति घंटा तक हो गई है। यह रडार गाइडेड मिसाइलें ले जाने में भी सक्षम है। करगिल युद्ध में इसी विमान ने पाकिस्तान को धूल चटाने का काम किया था। 

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तेजस
2016 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ एलसीए तेजस पूरी तरह स्वदेशी विमान है। इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था। वायुसेना के पास अभी 20 तेजस हैं, जबकि 40 एयरक्राफ्ट का आर्डर लगा है। तेजस राफेल की तरह सिंगल सीटर विमान है। तेजस हवा से हवा और हवा से जमीन पर मिसाइल दागने में सक्षम है। वहीं, इसमें एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट भी लगाए जा सकते हैं। तेजस एक बार में 54 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इसमें इजरायल का मल्टी मोड रडार सिस्टम लगा है। यह दुश्मन को आसानी से चकमा भी दे सकता है।

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जगुआर:
सईपीईसीएटी जगुआर एक सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है। इसके हाई-विंग लोडिंग डिजाइन की वजह से कम-ऊंचाई पर एक स्थिर उड़ान भर सकता है। यह जंगी हथियारों को भी आसानी से अपने साथ ले जा सकता है। विमान 1,700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। इसमें हवा से हवा में और जमीन पर मार करनी वाली तमाम प्रकार की मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। 

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मिग 21 विमान
मिग-21 विमान का पहले संस्करण 1964 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। इस विमान में सिंगर सीटर और एक ही इंजन है। मिग-21 की मदद से ही विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया गया था। इसकी रफ्तार 2,230 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह सुपरसोनिक लड़ाकू जेट विमान है जिसकी लंबाई 15.76 मीटर और चौड़ाई में 5.15 मीटर है। यह हथियारों के साथ करीब 8,000 किलोग्राम तक वजन के साथ उड़ सकता है। ये आसमान से आसमान में मार करने वाली मिसाइलों और बमों को अपने साथ ले जाने में सक्षम है। 1965 और 1971 की जंग में मिग 21 विमानों का इस्तेमाल हुआ था। हालांकि, ये विमान अब रिटायर हो गए हैं। 

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