स्लाइडिंग दरवाजे, डबल ग्लेज्ड सेफ्टी ग्लास और सर्विलांस सिस्टम से लेस होगी देश की प्राइवेट ट्रेनें

नई दिल्ली. देश में प्राइवेट ट्रेनों का चलाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मेट्रो और वंदे भारत ट्रेनों के साथ इसकी शुरुआत हो चुकी है। अब चलाई जाने वाली प्राइवेट ट्रेनों में इन्हीं ट्रेनों के जैसे कई आधुनिक फीचर्स हो सकते हैं। इनमें इलेक्ट्रॉनिक स्लाइडिंग दरवाजे, डबल ग्लेज्ड सेफ्टी ग्लास के साथ खिड़कियां, पैसेंजर सर्विलांस सिस्टम और सूचना एवं गंतव्य बोर्ड की जानकारी जैसी सुविधाएं शामिल होंगी। इसके अलावा आपातकालीन टॉक-बैक सिस्टम भी लगा होगा। इसकी मदद से यात्री आपात स्थिति में संबंधित रेल कर्मचारी से तुरंत मदद मांग सकेंगे।

Asianet News Hindi | Published : Aug 13, 2020 7:23 AM IST

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स्लाइडिंग दरवाजे, डबल ग्लेज्ड सेफ्टी ग्लास और सर्विलांस सिस्टम से लेस होगी देश की प्राइवेट ट्रेनें

रेलवे ने बुधवार को निजी कंपनियों के सामने अपने नेटवर्क पर प्राइवेट ट्रेनों को दौड़ाने के लिए शर्तों को रखा। ये सभी शर्तें विश्वस्तरीय मानक मानी जाती हैं। रेल मंत्रालय ने अपनी लिस्ट में मार्च 2023 से चरणबद्ध तरीके से 506 मार्गों पर चलाई जाने वाली प्राइवेट ट्रेनों के लिए प्रारूप और निर्देश तैयार किए हैं। इसमें सभी ट्रेनें कम से कम 16 डिब्बे की होंगी।

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180 किमी की होगी ट्रेन की रफ्तार 

रेलवे द्वारा बुधवार को जारी किए गए प्रारूप में कहा गया है कि इन ट्रेनों का डिजाइन इस प्रकार होगा कि ये अधिकतम 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगी। इन ट्रेनों में दोनों सिरों पर ड्राइविंग कैब होंगे और इनकी बनावट दोनों ओर से एक जैसी ही होगी। इससे किसी भी स्थिति में दोनों तरफ से यानी दोनों दिशाओं में ट्रेन को चलाने में दिक्कत नहीं होगी। इनकी बनावट ऐसी हो कि इन्हें कम से कम 35 साल तक चलाया जा सके।

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इमरजेंसी में 1250 मीटर से कम दूरी में खड़ी हो सकेगी ट्रेन

कहा जा रहा है कि निजी कंपनियों को ट्रेनों को इस तरीके से तैयार करना होगा कि वो 140 सेकंड में 0 किमी प्रति घंटे से 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तर तक पहुंचने में सक्षम हों, ट्रेनों की औसत रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा रहे। इसके अलावा ट्रेनों का डिजाइन इस तरह होना चाहिए कि इमरजेंसी में ब्रेक लगाने पर यात्रा के दौरान 160 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही ट्रेन 1,250 मीटर से कम की दूरी में स्थिर खड़ी हो जाए यानी रुक जाए।

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सेफ्टी का रखा गया है विशेष ध्यान 

रेलवे के इस नए प्रोजेक्ट के अनुसार बताया जा रहा है कि हर डिब्बे में बिजली से चलने वाले स्लाइडिंग दरवाजे कम से कम 4 होंगे। ये दरवाजे दोनों तरफ दो-दो की संख्या में होंगे। ट्रेनें इन दरवाजों के पूर्ण रूप से बंद होने के बाद ही प्रस्थान करेगी। एक भी दरवाजा खुला रहा तो ट्रेन नहीं चलेगी। यह शर्त यात्रियों की सेफ्टी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। साथ ही इसमें इमरजेंसी के वक्त दरवाजे को मैन्युअली खोलने की सुविधा भी होगी।

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इतना ही नहीं कोच में जीरो डिस्चार्ज टॉयलेट सिस्टम होगा। साथ ही ट्रेनों को बाहरी शोर-गुल से पूरी तरह मुक्त रखने की शर्त भी रखी गई है। यात्रा के दौरान कंपन न हो, दरवाजों के पास इमरजेंसी बटन हो, जिससे यात्री जरूरत पड़ने पर सीधे रेल कर्मचारियों से बात कर सकें, ट्रेन में आने वाले स्टेशन और अन्य सभी जरूरी जानकारी डिस्प्ले पर दी जानी चाहिए। ये जानकारी हिन्दी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में हो।

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इसके अलावा इन ट्रेनों में सीसीटीवी नेटवर्क, सर्विलांस कैमरे, वॉइस रिकॉर्डिग जैसी सुविधाओं की बात भी कही गई है। प्राइवेट ट्रेनों के लिए रेलवे ने इन सभी विशेषताओं को निजी ऑपरेटरों से रेलवे सिस्टम में शामिल करने की मांग की है।

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रेलवे द्वारा जारी प्राईवेट ट्रेनों के टेंडर में जीएमआर, सीएएफ इंडिया, एल्सटॉम, बांबबार्डियर, सीमंस, आईआरसीटीसी, मेधा, भेल, सीएएफ, स्टरलाइट, भारत फोर्ज, जेकेबी इंफ्रास्ट्रक्चर और बीएचईएल जैसी जीएमआर पीएसयू की बड़ी कंपनियों समेत 23 कंपनियों ने अपनी रुचि दिखाई है।

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भारत में 151 प्राइवेट ट्रेनों को पटरी पर दौड़ाने के लिए प्राइवेट कंपनियों से आवेदन मांगे हैं। इसके तहत प्राइवेट ट्रेनों को 109 रूटों पर चलाया जा सकता है। इसके लिए प्राइवेट कंपनियों को 30 हजार करोड़ रुपए का इनवेस्टमेंट करना होगा।

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