रथ पर सवार होकर निकले भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा, 2500 साल में पहली बार है ऐसा नजारा

पुरी. कोरोना काल के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जगन्नाथ रथ यात्रा की परमिशन दे दी है, लेकिन इसके साथ ही कोर्ट ने कुछ शर्तें भी रखी है। इस रथ यात्रा में महज 500 श्रद्धालु ही शामिल हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि 2500 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार है कि जब भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में इतने कम श्रद्धालु हैं। कोरोना महामारी के कारण पुरी शहर को टोटल लॉकडाउन करके रथयात्रा को मंदिर के 1172 सेवक गुंडिचा मंदिर तक ले जाएंगे। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 23, 2020 5:07 AM IST / Updated: Jun 23 2020, 11:00 AM IST
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रथ पर सवार होकर निकले भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा, 2500 साल में पहली बार है ऐसा नजारा

2.5 किमी की इस यात्रा के लिए मंदिर समिति को दिल्ली तक का सफर पूरा करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद मंदिर समिति के साथ कई संस्थाओं ने सरकार से मांग की कि रथयात्रा के लिए फिर से कोशिश करें। इस रथयात्रा के लिए सुप्रीम कोर्ट में 6 याचिकाएं लगाई गई हैं।

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इसके बाद फैसला मंदिर के पक्ष में आया है और पुरी शहर में उत्साह की लहर दौड़ गई। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही सेवकों ने रथशाला में खड़े रथों को खींचकर मंदिर के सामने ला खड़ा किया। 
 

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जगन्नाथ रथ यात्रा की सोशल मीडिया पर कुछ फोटोज सामने आई है। इसमें रथ पर सवार भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर मुख्य मंदिर से ढाई किमी दूर गुंडिचा मंदिर जाते दिख रहे हैं। यहां सात दिन रुकने के बाद आठवें दिन फिर मुख्य मंदिर पहुंच रहे हैं। 

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कुल नौ दिन का उत्सव पुरी शहर में होता है। मंदिर समिति पहले ही तय कर चुकी थी कि पूरे उत्सव के दौरान आम लोगों को इन दोनों ही मंदिरों से दूर रखा जाएगा। पुरी में लॉकडाउन हटने के बाद भी धारा 144 लागू रहेगी। 

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भगवान जगन्नाथ के लिए जगन्नाथ मंदिर में 752 चूल्हों पर खाना बनता है। इसे दुनिया की सबसे बड़ी रसोई का दर्जा हासिल है। रथयात्रा के नौ दिन यहां के चूल्हे ठंडे हो जाते हैं। 
 

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जगन्नाथ रथ यात्रा।

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