एक सिक्के ने बचाई जान, 15 गोली लगने के बाद भी तबाह कर दिए दुश्मन के बंकर, ऐसी है अद्भुत कहानी

नई दिल्ली. कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों ने जो अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया उसे पूरी दुनिया ने देखा। आज भी उनकी वीरता की कहानियां सुनकर दुश्मन कांप जाता है। ऐसी ही कहानी एक ऐसे जवान की है, जिसकी एक सिक्के ने जान बचाई थी। हम बात कर रहे हैं योगेंद्र सिंह यादव की, जो 18 ग्रेनेडियर यूनिट में पदस्थ थे। उस वक्त उनकी उम्र महज 19 साल थी। जब LOC पर युद्ध छिड़ा तो उन्हें सर्विस में सिर्फ ढाई साल ही हुए थे। उन्हें 17 हजार फीट ऊंची टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने का लक्ष्य दिया गया था।  
 

Asianet News Hindi | Published : Jul 17, 2020 10:15 AM IST / Updated: Jul 17 2020, 04:33 PM IST

111
एक सिक्के ने बचाई जान, 15 गोली लगने के बाद भी तबाह कर दिए दुश्मन के बंकर, ऐसी है अद्भुत कहानी

योगेन्द्र सिंह यादव भारतीय सेना के जूनियर कमीशनन्ड ऑफिसर (जेसीओ) हैं, जिन्हें कारगिल युद्ध के दौरान 4 जुलाई 1999 की कार्रवाई के लिए उच्चतम भारतीय सैन्य सम्मान परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। मात्र 19 साल की उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले ग्रेनेडियर यादव सबसे कम उम्र के सैनिक हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ।

211

कारगिल में योगेंद्र सिंह यादव को हाइगर हिल टॉप जीतने का टास्क दिया गया। टाइगर हिल टॉप पूरी तरह पाकिस्तानी फौज के कब्जे में था। ये अपनी पलटन को लेकर दुश्मनों की तरफ चढ़ाई शुरू कर दी। पाकिस्तानी फौज पहाड़ी की चोटी पर थी। उसके लिए टारगेट बहुत आसान था।

311

उन्होंने बताया, लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी सैनिक ने एक गोली इनके सीने में दागी। जैकेट की जेब में सिक्के थे। सिक्कों ने मेरी जान बचा ली। 

411

उन्होंने बताया, सीने में गोली लगते ही मुझे एहसास हो गया मैं जिंदा नही बचूंगा। भगवान मेरे साथ था। हाथ में गोली लगने से वो सुन्न हो गया था। ऐसा लगा हाथ जिस्म से अलग है।

511

योगेंद्र सिंह यादव ने बताया,  मैंने हाथ उखाड़ने की कोशिश की। लेकिन हाथ जिस्म से अलग नहीं हुआ। मुझे एहसास हो चुका था मेरी मौत नहीं हो सकती। 

611

उन्होंने बताया, घायल होने के बाद भी रेंगते हुए शहीद सैनिकों के पास गया। कोई जिंदा नहीं बचा थी। मैं काफी रोया। मेरे पास एक हैंड ग्रेनेड बचा था। 

711

योगेंद्र सिंह यादव ने बताया, गोली लगने के बाद मैंने फिर से हिम्मत जुटाई। मेरे पास एक हैंड ग्रेनेड बचा था। उसे खोलकर फेंकने की ताकत नहीं थी। लेकिन कोशिश की और ग्रेनेड खोलने के साथ फट गया। लेकिन मैं बाल-बाल बच गया।

811

योगेंद्र यादव ने बताया कि गोली लगने के बाद भी मैंने राइफल उठाई और ताबड़तोड़ गोलियां चलाने लगा, लेकिन कुछ देर बाद गिर गया।
 

911

उन्होंने बताया कि गोली लगने के बाद गिरकर एक नाले में गिर गया। खाने को कुछ नहीं बचा था। ठंड से पूरा शरीर अकड़ गया था। लेकिन जैसे तैसे भारतीय फौज के बेस तक पहुंचा। फिर वहां पहुंचकर पाकिस्तानी फौज की पूरी जानकारी दी। 

1011

उन्होंने बताया, 72 घंटे से आधे डिब्बा बिस्कुट पर जिंदा था। तीन दिन के बाद होश आया। तब तक मेरी बटालियन ने टाइगर हिल टॉप पर कब्जा कर तिरंगा फहराने के साथ कारगिल युद्ध में विजय फतह कर ली। 

1111

17 हजार फीट ऊंची टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने का लक्ष्य दिया गया था। इस दौरान उन्हें 15 गोलियां लगी थी। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। योगेंद्र को उनकी बहादुरी के लिए परमवीर चक्र से नवाजा गया।
 

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos