'वर्दी पहनो और इज्जत की नौकरी करो', इस जज्बे के साथ तैयार हो गई महिला गार्ड्स की पूरी फौज

कर्नाटक. आपने कितनी बार महिला सुरक्षा गार्डों को देखा है? देश में पुरुष सुरक्षा गार्डों की तुलना में यह संख्या कम हो सकती है। कई नौकरियां जैसे मुंबई में लोकल ट्रेन या बीएमटीसी की बसों के चालक मुख्य रूप से पुरुष ही होते हैं। दशकों में यह एक स्टीरियोटाइप बन गया है, जहां महिलाओं को इनमें से किसी एक भूमिका में भी फिट नहीं पाया जाता है। पर अब महिलाएं ने हर उस काम और क्षेत्र में टांग अड़ाना शुरू कर दिया है जहां पुरुषों को वर्चस्व कायम है। ऐसे में एक शेरनी ने महिला सिक्योरिटी गार्ड्स की पूरी फौज ही खड़ी कर दी है। वो लगभग 600 से ज्यादा महिलाओं को इसकी ट्रेनिंग दे रही है। उनके संघर्ष की कहानी आपको झकझोर देगी। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 19, 2020 8:45 AM IST / Updated: Feb 19 2020, 02:19 PM IST

16
'वर्दी पहनो और इज्जत की नौकरी करो', इस जज्बे के साथ तैयार हो गई महिला गार्ड्स की पूरी फौज
33 साल महिला श्रवणी पवार सेफ हैंड्स 24x7 की संस्थापक हैं। वे महिलाओं को सुरक्षा गार्ड बनने के लिए प्रशिक्षित कर रही है। ये महिलाएं ज्यादातर समाज के कमजोर वित्तीय और कमजोर वर्गों से आती हैं। स्टार्टअप द्वारा प्रदान की जाने वाली ट्रेनिंग उन्हें सशक्त बनाती है, साथ ही वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है। अपने प्रशिक्षण के बास ये महिला सुरक्षा गार्ड स्टार्टअप के चुनिन्दा ग्राहक जैसे महिला छात्रावास, अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान और कुछ व्यावसायिक परिसरों में सेवाएँ देती हैं।
26
श्रावणी ने कहा, "हम शहर के भीतर ग्राहकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं ताकि कर्मचारियों के लिए यात्रा करना सुविधाजनक हो। हमारा एक मुख्य उद्देश्य स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है ताकि वे अपने परिवार के साथ रहकर काम कर सकें।"
36
निजी सुरक्षा एजेंसियों के विनियमन अधिनियम, 2005 (PSARA) के अनुसार भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों द्वारा इन गार्डों को प्रशिक्षित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, इन उम्मीदवारों को सुरक्षा गार्ड की ड्यूटी के साथ शारीरिक, मानसिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है, जिसमें रिकॉर्ड और अन्य कर्तव्यों का रखरखाव शामिल है। श्रावणी के स्टार्टअप सेफ हैंड्स 24X7 ने लगभग 600 महिलाओं को प्रशिक्षित किया है और उनका वार्षिक कारोबार 6 करोड़ रुपये का है। यह कर्नाटक, गोवा, हैदराबाद और चेन्नई में अपनी सेवाएं प्रदान करता है।
46
स्टार्टअप से मदद पाकर आगे बढ़ने वाली एक महिला ने बताया, “मैं सिर्फ 30 साल की थी, जब मेरे पति को लकवा मार गया। वो हमारे परिवार में जीविका अर्जन करने वाले अकेले शख़्स थे। उस घटना ने हमारे परिवार को वित्तीय संकट में डाल दिया। बीमार पति और दो स्कूल जाने वाले बच्चों के साथ, मुझे जीविका के लिए घर से बाहर निकालना पड़ा, लेकिन अशिक्षित होने के कारण मेरे पास घरेलू मदद के रूप में काम करने के लिए सीमित विकल्प थे, जिनकी आय बेहद कम थी और नौकरी की कोई सुरक्षा भी नहीं थी।
56
श्रावणी मैडम ने मुझे 2010 में नैतिक समर्थन के साथ एक महिला छात्रावास में एक सुरक्षा गार्ड की नौकरी दी। मुझे एक अच्छी आय, ईएसआई, और अन्य लाभ भी मिले। अब, मैं सेफ हैंड्स का हिस्सा बनकर स्थापित और गौरवान्वित हूं।” इस संस्था में आत्मनिर्भर महिलाओं को देख दूसरी महिलाएं जुड़ना तो चाहती हैं लेकिन डरती हैं। ये मर्दो का काम है सोच उनके कदम ठहर जाते हैं। कुछ सोचती हैं कि, अगर मेरे परिवार को पता चलता है कि मैं सुरक्षा गार्ड के रूप में काम कर रही हूं, तो वे इसे नहीं अपनाएंगे।"
66
बहरहाल पवार के लिए महिलाओं को समझाना और उन्हें दूसरों के घरों में झाड़ू-बर्तन जैसे काम से ऊपर उठकर एक वर्दी वाली नौकरी देना आसान है। वो अब तक 600 से ज्यादा महिलाओं को सिक्योरिटी गार्ड बना चुकी हैं। पवार हर उस महिला के लिए एक प्रेरणा हैं जो अपने कम्फर्ट जोन से परे जाकर पुरुष प्रधान पेशे में अपने लिए जगह बनाना चाहती हैं। बाधाओं और रूढ़ियों को तोड़ते हुए, पवार अब अपने इस बिजनेस को आगे बढ़ाने की सोच रही हैं।
Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos