शहीद मेजर अनुज के बचपन के किस्से, जिन्हें सुनकर पता लगेगा कि ऐसे ही नहीं देश के लिए दी कुर्बानी

Published : May 04, 2020, 03:11 PM ISTUpdated : May 05, 2020, 11:08 AM IST

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में रविवार को आंतकियों से मुठभेड़ में सेना के 2 अफसर सहित 5 जवान शहीद हो गए। शहीदों में कर्नल आशुतोष शर्मा और मेजर अनुज सूद अच्छे दोस्त थे। दोनों एक दूसरे को भारतीय सैन्य अकादमी के दिनों से ही जानते थे। इनकी शहादत पर सेना की तरफ से एक ट्वीट किया गया। ट्वीट में लिखा, 2011 में बटालियन की जम्मू-कश्मीर के लिए ट्रिप जानी थी। कर्नल आशुतोष जो उन दिनों मेजर थे और वे इसके इंचार्ज थे। उस समय से ही दोनों के बीच बेहतर बॉन्ड था। सौभाग्य से मेजर अनुज भी उसी बटालियन में कमीशंड हुए जिससे कर्नल आशुतोष थे। दोनों बेहतरीन छात्र और बेहतरीन अफसर थे। अब वे हमारे साथ नहीं है। 

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शहीद मेजर अनुज के बचपन के किस्से, जिन्हें सुनकर पता लगेगा कि ऐसे ही नहीं देश के लिए दी कुर्बानी

मेजर अनुज सूद की प्रारंभिक पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल लखनऊ में हुई। अनुज का चयन आईआईटी में हो गया था लेकिन वह पिता की तरह देश की सेवा करना चाहते थे। उन्होंने एनडीए की प्रवेश परीक्षा पहली बार में ही पास कर ली। मेजर अनुज हंदवाड़ा में 21 राष्ट्रीय रायफल में तैनात थे। उनकी मां सुमन सूद यमुनानगर के एक सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल हैं। उनकी बड़ी बहन ऑस्ट्रेलिया में रहती हैं और छोटी बहन भी आर्मी मे ही हैं।
 

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वह एंजेलिना जोली के साथ डेथ पर जाना चाहते थे। उनकी पसंदीदा फिल्में ओम शांति ओम, लक्ष्य और डाई हार्ड थीं। उन्होंने हमेशा एक आर्मी ऑफिसर बनने का सपना देखा। यह बात मेजर अनुज सूद के दोस्त ने अपने लिखी एक डायरी में बताई। इन्होंने पंजाब पब्लिक स्कूल (पीपीएस) नाभा में पढ़ाई की थी। 2008 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में शामिल होने से पहले मेजर अनुज सूद ने यहीं पर पढ़ाई की थी। मेजर के साथी और टीचर उनकी शहादत की खबर सुनकर स्तब्ध हैं। 
 

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मनजोत सिंह चड्ढा, अनुज के बहुत अच्छे दोस्त हैं। दोनों क्लासमेट थे। दोनों के पिता भी अच्छे दोस्त थे। स्कूल में अंग्रेजी विभाग के प्रमुख एमएस चड्ढा याद करते हैं कि अनुज के पिता ब्रिगेडियर सीके सूद 1978 की कक्षा में आईएससी के टॉपर थे।
 

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मनजोत सिंह के पास एक डायरी है, जिसमें अनुज ने एनडीए के लिए रवाना होने से पहले कुछ लिखा था। वह हमेशा सेना में शामिल होना चाहता था। उसके दिमाग में क्लियर था। यही वजह है है कि 12 वीं की परीक्षा पास करते ही उन्होंने एनडीए परीक्षा पास कर ली।
 
 

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मेजर अनुज की शादी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा की रहने वाली आकृति के साथ हुई थी। आकृति पुणे की एक प्राइवेट कंपनी में काम करती है। आकृति लॉकडाउन से पहले पंचकुला से अपने मायके कांगड़ा गई थी। हालांकि वह अंतिम दर्शन के लिए पति के पास आना चाहती हैं।
 

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अनुज ने डायरी में जो लिखा था, उसी पढ़कर पता चलता है कि वह हमेशा से आर्मी ऑफिसर बनना चाहते थे। उन्होंने लिखा था, मेरी जिंदगी से कोई एक चीज मीसिंग है। मेरे हाथ में मेरा एनडीए ज्वाइनिंग लेटर !! (दूर नहीं)। मैं सेना में अधिकारी बनने का सपना देखता हूं। 

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अनुज के पिता ने बताया कि 2017 में आकृति के साथ उनकी शादी हुई थी। शादी के बाद वह वापस चले गए थे। आकृति उनके साथ नहीं जा पाई थी क्योंकि जहां अनुज तैनात थे वहां वह उसे साथ नहीं रख सकते थे। दोनों ने दो वर्षों में चार महीने ही साथ बिताया। दोनों के अभी कोई बच्चे नहीं हैं।

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अनुज को अंग्रेजी पढ़ाने वाले एमएस चड्ढा ने कहते हैं, वह एक अच्छा व्यवहार करने वाला छात्र था जो हर मामले में आगे था। उन्होंने अपने पिता के एनडीए में शामिल होने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए स्कूल में दाखिला लिया और उन्होंने यह हासिल किया। 

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पिता ने बताया कि अनुज के इस बार घर आने को लेकर वह बहुत उत्सुक थी। उसे पता था कि लॉकडाउन के बाद अनुज घर आने वाले हैं और वह एक-एक दिन गिन रही थी। उनके शहीद होने की सूचना पर उसे यकीन नहीं हो रहा।
 

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कुपवाड़ा जिले के हंदवाडा में आतंकियों के छिपे होने की खबर मिली थी। इसके बाद सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन चलाया। इस ऑपरेशन में सेना की राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान शामिल थे। घर में बंधक बने नागरिकों को छुटाने के लिए सेना के कर्नल और कमांडिंग ऑफिसर ने खुद मोर्चा संभाला। उनके साथ मेजर अनुज सूद, नायक राजेश और लांस नायक दिनेश, पुलिस में सब-इंस्पेक्टर शकील काजी घर में घुसे।

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