PM नरेंद्र मोदी की सुरक्षा करेगा कर्नाटक का यह देसी डॉग, जानें किन मामलों में है खास

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में तैनात एसपीजी (Special Protection Group) के जवानों के साथ जर्मन शेफर्ड और लैब्राडोर जैसे विदेशी नस्ल के कुत्ते दिखते हैं। अब इनके साथ कर्नाटक के देसी नस्ल का कुत्ता मुधोल हाउंड भी नजर आएगा। मुधोल हाउंड हंटिंग डॉग है। इसे शिकार जैसे काम के लिए अच्छा माना जाता है। गुरुवार को आई रिपोर्ट के अनुसार इन डॉक्स को एसपीजी में शामिल किया जाएगा। आगे पढ़ें क्यों खास हैं मुधोल हाउंड नस्ल के कुत्ते...
 

Vivek Kumar | Published : Aug 18, 2022 2:17 PM IST / Updated: Aug 18 2022, 07:51 PM IST

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PM नरेंद्र मोदी की सुरक्षा करेगा कर्नाटक का यह देसी डॉग, जानें किन मामलों में है खास

मुधोल हाउंड नस्ल के कुत्ते पहले ही भारतीय सेना और कुछ अर्धसैनिक बलों के साथ सेवा दे रहे हैं। यह एसपीजी का हिस्सा बनने वाला पहला देसी नस्ल का कुत्ता बन सकता है। रिपोर्टों में कहा गया है कि एसपीजी अधिकारियों ने अप्रैल में कर्नाटक के बागलकोट जिले के थिम्मापुर में कैनाइन रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सेंटर (मुधोल हाउंड) का दौरा किया था और दो नर पिल्लों को लेकर गए थे।
 

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मुधोल हाउंड शिकार और रखवाली के काम में माहिर होते हैं। ये कुत्ते बहुत तेजी से दौड़ते हैं। इनका स्टेमिना बहुत अच्छा होता है। बेहद चुस्त इन कुत्तों की सुंघने और देखने की क्षमता भी बहुत अच्छी होती है। ये बिना थके लंबी दूरी तक दौड़ सकते हैं। मुधोल हाउंड नस्ल के कुत्ते 72 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक बढ़ सकते हैं। इनका वजन 20-22 किलो तक हो सकता है।
 

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राजाओं के समय से ही इस नस्ल के कुत्तों का इस्तेमाल शिकार करने के लिए हो रहा है। माना जाता है कि मुधोल हाउंड को सबसे पहले मुधोल के राजा मालोजीराव घोरपड़े ने पाला था। इस इलाके के आदिवासी पहले इस कुत्ते को अपने साथ रखते थे। राजा ने कुत्तों के गुणों को देखा तो उसे पालने और चुनिंदा रूप से प्रजनन कराने का फैसला किया। कहा जाता है कि राजा ने इंग्लैंड की यात्रा के दौरान किंग जॉर्ज पंचम को इन कुत्तों की एक जोड़ी भेंट की थी, जिसके बाद इस नस्ल को मुधोल हाउंड का नाम मिला।
 

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भारतीय सेना ने फरवरी 2016 में मेरठ में अपने रिमाउंट और पशु चिकित्सा कोर (आरवीसी) प्रशिक्षण केंद्र में मुधोल हाउंड पिल्लों का एक बैच लिया था। यह पहली बार था कि आरवीसी केंद्र में एक स्वदेशी नस्ल को प्रशिक्षित किया गया था। पहले यह केंद्र लैब्राडोर और जर्मन शेफर्ड जैसी विदेशी नस्लों को प्रशिक्षित करता था। प्रशिक्षण के बाद मुधोल हाउंड कुत्तों को सेना में शामिल किया गया।
 

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सेना ने पहले मुधोल हाउंड नस्ल के कुत्तों को केवल विस्फोटकों का पता लगाने के लिए ट्रेंड किया गया था। उन्हें गार्ड ड्यूटी, खोज और बचाव या ट्रैकिंग जैसे काम के लिए ट्रेंड नहीं किया गया था। सेना के अधिकारियों ने अनुसार ये कुत्ते उग्रवाद रोधी अभियानों में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज (आईईडी) का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
 

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