रहम की भीख मांग रहा निर्भया का दोषी विनय; SC से कहा, जज साहब! मुझे फांसी नहीं दी जा सकती क्योंकि...
नई दिल्ली. फांसी की सजा पा चुके निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने की कवायद चल रही है। दो बार डेथ वारंट जारी किया जा चुका है। बावजूद इसके दोषी कानूनी हथकंडों का प्रयोग कर हमेशा बच जा रहे हैं। इसी क्रम में दोषी विनय शर्मा ने फिर नया दांव खेला है। जिसमें राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली है। यदि विनय की यह याचिका खारिज होती है। तो विनय के सारे रास्ते बंद हो जाएंगे।
दो बार टल चुका है फांसीः निर्भया के दोषी दो बार फांसी से बच चुके है। यानी कोर्ट द्वारा दो बार डेथ वारंट जारी होने के बाद कानूनी हथकंडों का प्रयोग कर मौत से बच गए। जिसमें दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी दी जानी थी। लेकिन फांसी टल गई। जिसके बाद कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करते हुए दोषियों को 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाने का आदेश दिया था। लेकिन एक दिन पहले यह फांसी अगले आदेश तक टल गई।
उसने बताया कि उसने कैद के दौरान बेहद मानसिक प्रताड़ना झेली क्योंकि उसके साथ कैद में क्रूरता हुई थी। उसने ये भी दावा किया कि उसे एकांत कारावास में भी रखा गया। दोषियों को हाईकोर्ट द्वारा मिले सात दिन खत्म हो चुके हैं। सातवें दिन विनय ने यह याचिका इसलिए दाखिल की है, क्योंकि हाईकोर्ट ने दोषियों को सात दिन का वक्त दिया था। जिसमें कानून अधिकारों को प्रयोग करना था।
वहीं, दूसरी तरफ मंगलवार यानी 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को इजाजत दी है कि वो नया डेथ वारंट जारी करा सकते हैं। साथ ही 13 फरवरी को अगली सुनवाई की बात कही जा रही है।
क्या है पूरा मामलाःदक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया।जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं।
11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए याचिका में विनय शर्मा ने दावा किया है कि उसे मानसिक और व्यावहारिक समस्याएं हैं। उसने कहा कि उसे डिप्रेशन और एडजस्टमेंट डिसऑर्डर की समस्या है। उसने शत्रुघ्न चौहान केस का हवाला देते हुए कहा कि इसमें भी दोषी को अगर मानसिक समस्या है तो उसे फांसी नहीं दी जा सकती।
छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई। (फोटो- निर्भया की मां और चारों दरिंदे)