मुझे फांसी होगी तो पत्नी और बच्चों का क्या होगा...निर्भया के दोषी ने मौत से बचने के लिए चली नई चाल
नई दिल्ली. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने के लिए 3 मार्च की तारीख तय की है। लेकिन दोषी एक के बाद एक नई चाल चल रहे हैं। अब दोषी अक्षय ने नई याचिका दाखिल की है। याचिका में तर्क दिया गया है कि फांसी की सजा से उसकी पत्नी और बच्चे को सामाजिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। जबकि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है। इसलिए उसने दोबारा राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई है। बता दें कि निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने के लिए तीन बार डेथ वॉरंट जारी किया जा चुका है।
Asianet News Hindi | Published : Mar 2, 2020 5:51 AM IST / Updated: Mar 03 2020, 11:13 AM IST
निर्भया का दोषी अक्षय ने मौत से बचने के लिए अपने बच्चे और पत्नी का जिक्र किया।
अक्षय की याचिका पर एपी सिंह ने कहा, पहले जल्दबाजी में दया याचिका दाखिल की थी। उसमें शपथ पत्र, आर्थिक स्थिति और आपराधिक रिकॉर्ड जैसे दस्तावेज नहीं लगाए थे। इसलिए न्याय के लिए उसकी याचिका पर दोबारा सुनवाई की जाए।
अक्षय की पुरर्विचार, सुधारात्मक और दया याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है। उसके पास कानून का कोई विकल्प नहीं बचा है। दोषी पवन गुप्ता ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की, जो अभी लंबित है।
किसके पास कितने विकल्प?- निर्भया के चार दोषियों में से केवल पवन के पास ही कानूनी विकल्प मौजूद हैं। बाकी तीन दोषी विनय शर्मा, मुकेश सिंह और अक्षय ठाकुर पहले ही सभी विकल्पों का इस्तेमाल कर चुके हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट पवन की नाबालिग होने की याचिका और इस पर उसकी रिव्यू पिटीशन खारिज कर चुका है।
3 बार जारी हुआ डेथ वॉरंट- निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने के लिए 3 बार डेथ वॉरंट जारी हो चुका है। पहला डेथ वॉरंट 7 जनवरी को जारी हुआ, जिसके मुताबिक 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का आदेश दिया गया। इसके बाद दूसरा डेथ वॉरंट 17 जनवरी को जारी हुआ, दूसरे डेथ वॉरंट के मुताबिक, 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी देना का आदेश था। फिर 31 जनवरी को कोर्ट ने अनिश्चितकाल के लिए फांसी टाली दी। तीसरा डेथ वॉरंट 17 फरवरी को जारी हुआ। इसके मुताबिक 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी का आदेश दिया गया।
क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड?- दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।
जब तीसरी बार दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वॉरंट जारी किया था, तब निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा था कि अभी उनके पास कई कानूनी विकल्प बचे हैं।