कौन है सिंधू और साइना को बैडमिंटन के गुर सिखाने वाले कोच Pullela Gopichand, जानें इस 'द्रोणाचार्य' का संघर्ष

स्पोर्ट्स डेस्क : भारत के हैड बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद (Pullela Gopichand) 16 नवंबर को अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं। गोपीचंद ने 1991 से देश के लिए खेलना शुरू किया। उन्होंने भारत के लिए कई मेडल जीते। हालांकि, उनको लाइमलाइट साइना नहवाल (saina nehwal) और पीवी सिंधु (pv sindhu) जैसे खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने से मिली। साइना और सिंधु को तो पूरी दुनिया जानती हैं, लेकिन आज हम आपको बताते हैं, इनको कामयाबी तक पहुंचाने वाले गुरू'द्रोणाचार्य' पुलेला गोपीचंद के बारे में...

Asianet News Hindi | Published : Nov 16, 2021 7:05 AM IST
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कौन है सिंधू और साइना को बैडमिंटन के गुर सिखाने वाले कोच Pullela Gopichand, जानें इस 'द्रोणाचार्य' का संघर्ष

कहते हैं हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है, लेकिन इससे उलट कई बार एक सक्सेसफुल वूमेन के पीछे एक आदमी का हाथ भी होता है। हम बात कर रहे हैं, भारत के हैड बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद की, जिन्होंने साइना नहवाल और पीवी सिंधू जैसी शटलर को कामयाबी की राह पर आगे बढ़ाया।

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पुल्लेला गोपीचंद का 16 नवंबर 1973 को आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के नगंदला में हुआ। शुरुआत में उन्हें क्रिकेट खेलना बहुत पसंद था, लेकिन बाद में उनके बड़े भाई राजशेखर ने उन्हें बैडमिंटन खेलने के लिए प्रेरित किया।

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जब वह 20 साल के थे, तब 1994 में एक युगल मैच के दौरान उनके घुटने में गंभीर चोट लग गई थी। इसके बाद उन्हें काफी समय लगा मैदान पर वापसी करने में। हालांकि, उन्होंने दृढ़ संकल्प से अपना लक्ष्य हासिल किया और 1996 से 2000 तक लगातार 5 बार खिताब जीते।

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गोपीचंद ने तीन बार (1998-2000) 'थामस कप' में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इसके अलावा उन्होंने 1996 में विजयवाड़ा के सार्क टूर्नामेंट में और 1997 में कोलम्बो में गोल्ड मेडल जीता था। कामनवेल्थ गेम्स में भी उन्होंने सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल भारत को दिलाए। 

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2001 में भारत के 6 खिलाड़ी वर्ल्ड के टॉप 100 खिलाड़ियों में शामिल हो गए थे, जिसमें गोपीचंद भी शामिल थे। 2001 में उनकी वर्ल्ड रैंकिंग 4 नंबर पर थी। हालांकि, बैडमिंटन से संन्यास लेने के बाद उन्होंने आंध्रप्रदेश में अपनी अकादमी शुरू की, तब कहा जा रहा था कि यह सिस्टम उन्हें सफल होने नहीं देगा, लेकिन गोपीचंद अपने दम पर अच्छे कोच साबित हुए।

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बता दें कि, गोपीचंद को अपनी बैडमिंटन अकेडमी शुरू करने के लिए अपने घर तक को गिरवी रखना पड़ा था। दरअसल, आंध्र प्रदेश सरकार ने गोपीचंद को अकेडमी बनाने के लिए जमीन तो दी थी, लेकिन प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। ऐसे में उन्होंने अपने और एथलीट्स का सपना पूरा करने के लिए अपने घर को तक गिरवी रख दिया था।

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पीवी सिंधु और और साइना नहवाल की कामयाबी के पीछे सबसे ज्यादा योगदान गोपीचंद का रहा है। उन्होंने द्रोणाचार्य बनकर अपने शिष्यों को 'अर्जुन' की तरह बनाया और कई पदक दिलवाए।

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रियो ओलंपिक 2016 में सिल्वर मेडल और टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक जीतने वाली पीवी सिंधु की जिंदगी में भी उन्हें कामयाब बनाने में उनके कोच पुलेला गोपीचंद की एक अहम भूमिका रही है। वह ना सिर्फ उन्हें बेहतरीन ट्रेनिंग देते हैं बल्कि 1 पेरेंट की तरह उनका ख्याल रखते हैं।

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एक इंटरव्यू के दौरान पुलेला गोपीचंद ने बताया था कि वह अपने स्टूडेंट्स की हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीज का ख्याल रखते हैं। उनकी फिटनेस से लेकर उनके खाने-पीने तक। सिंधु का वजन ना बढ़े इसके लिए वह सिंधु की प्लेट से खाना तक निकाल कर बाहर कर देते थे ताकि वह फिट रह सकें।

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पुलेला गोपीचंद की पर्सनल लाइफ की बात की जाए, तो उन्होंने 5 जून 2002 को अपनी साथी ओलंपियन बैडमिंटन खिलाड़ी पीवीलक्ष्मी से शादी की। दोनों के 3 बच्चे हैं।

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