देवांशी की दीक्षा लेने से एक दिन पहले, शहर में ऊंटों, हाथियों, घोड़ों और बड़ी धूमधाम के साथ एक भव्य जुलूस निकाला गया। यह शाही सवारी में 4 हाथी-20 घोड़े और 11 ऊंट शामिल थे। वहीं हाजरों की संख्या में जैन समाज के लोग मौजूद रहे। परिवार ने पहले बेल्जियम में एक समान जुलूस का आयोजन किया था।