सिर्फ अमरनाथ यात्रा में ही देखे जा सकते हैं दुनिया के अद्भुत नजारें, देखें कुछ खास तस्वीरें

नई दिल्ली. कोरोना संक्रमण के कारण अब तक टलती आ रही अमरनाथ यात्रा 21 जुलाई से शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि सरकार हर रोज सिर्फ 500 लोगों को ही बाबा बर्फानी के दर्शन करने की अनुमति दे सकती है। इस पर अंतिम फैसला अगले हफ्ते लिया जाएगा। माना जाता है कि भगवान शिव ने पार्वती को इसी गुफा में एक कथा सुनाई थी। इसमें अमरनाथ यात्रा और उसके मार्ग में आने वाली जगहों का वर्णन है। अमरनाथ यात्रा हिंदू धर्म में खास स्थान रखती है। गुफा में बर्फ जमने से शिवलिंग का निर्माण होता है। यह यात्रा अपने आप में आलौकिक दुनिया की सैर कराता है। आइए देखिए पिछली यात्रा की कुछ यादगार तस्वीरें...

Asianet News Hindi | Published : Jul 9, 2020 5:50 AM IST
120
सिर्फ अमरनाथ यात्रा में ही देखे जा सकते हैं दुनिया के अद्भुत नजारें, देखें कुछ खास तस्वीरें

अमरनाथ गुफा श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में समुद्रतल से 13,600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।

220

गुफा की लंबाई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। गुफा की ऊंचाई 11 मीटर है।

320

अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहते हैं। कहते हैं कि इसी गुफा में शिवजी ने पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।

420

पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग बनता है। इसलिए इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं।

520

कहते हैं कि शिवलिंग का आकार चंद्रमा के घटने-बढ़ने पर निर्भर होता है।

620

सावन पूर्णिमा पर शिवलिंग अपने पूर्ण आकार में होता है। वहीं, अमावस्या तक धीरे-धीरे घट जाता है।

720

गुफा में ठंडे पानी की टपकती बूंदों से करीब 10 फीट ऊंचा बर्फ का शिवलिंग बनता है।

820

आमतौर पर आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में लाखों भक्त यहां आते हैं।

920

अमरनाथ यात्रा पर जाने के दो रास्ते हैं। एक पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग बलटाल से। 

1020

पहलमान और बलटाल तक बसों आदि से पहुंचा जा सकता है। इसके बाद गुफा तक पैदल जाना पड़ता है।

1120

पहलगाम वाला रास्ता सरल और सुविधाजनक है। बलटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी 14 किलोमीटर है। लेकिन यह रास्ता बेहद दुर्गम है। चूंकि इस मार्ग पर आतंकवादी घटनाएं होती रहती हैं, इसलिए इसे सुरक्षित नहीं मानते।

1220

इस यात्रा की सुरक्षा आदि की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार लेती है।

1320
1420

पहलगाम के बाद अमरनाथ यात्रा का पहला पड़ाव 8 किमी दूर चंदनबाड़ी होता है। पहली रात तीर्थयात्री यहीं रुकते हैं। 

1520

पहलगाम के बाद अमरनाथ यात्रा का पहला पड़ाव 8 किमी दूर चंदनबाड़ी होता है। पहली रात तीर्थयात्री यहीं रुकते हैं। 

1620

चंदनबाड़ी से 14 किमी दूर शेषनाग दूसरा पड़ाव होता है। यह मार्ग खड़ी चढ़ाई के कारण खतरनाक है।

1720

रोमाचंक, लेकिन खतरनाक यात्रा होने के बावजूद बुजुर्ग भी बड़ी संख्या में अमरनाथ आते हैं।

1820

अमरनाथ यात्रा के दौरान प्रकृति और वन्य जीवन के दुर्लभ नजारें देखने को मिलते हैं।

1920

अमरनाथ किसी रोमांच से कम नहीं होती।

2020

अमरनाथ यात्रियों की सेवा के लिए यहां आर्मी के जवान तैनात रहते हैं।

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos