मकर संक्रांति पर यहां नहाने से दूर होते हैं स्किन रोग और शनि भी आपको परेशान नहीं करता

मंडी, हिमाचल. मकर संक्रांति पर पर तत्तापानी पर भव्य मेला लगेगा। 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर इस धार्मिक जगह का अपना विशेष महत्व है। तत्तापानी को ऋषि जमदगनी की तपोस्थली माना जाता है। यहां मकर संक्रांति पर हजारों की संख्या में लोग डुबकी लगाएंगे। यहां मकर संक्रांति पर तीन दिनों तक धार्मिक आयोजन होते हैं। यहां सिर्फ हिमाचल नहीं, दूसरे राज्यों से भी लोग पहुंचते हैं। माना जाता है कि मकर संक्रांति पर यहां नहाने से तमाम तरह के चर्म रोग दूर हो जाते हैं। वहीं, श्रद्धालु अपने ग्रहों के दोष दूर करने तुलादान भी करते हैं। यहां सतलुज नदी बहती है। इस बार यहां 1500 किलो खिचड़ी पकाई जाएगी। कहा जा रहा है कि अगर ऐसा करने में सफल रहे, तो यह विश्व रिकॉर्ड होगा।

Asianet News Hindi | Published : Jan 13, 2020 5:58 AM IST

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मकर संक्रांति पर यहां नहाने से दूर होते हैं स्किन रोग और शनि भी आपको परेशान नहीं करता
तत्तापानी में पहले बड़ी संख्या में गर्म पानी के चश्मे(गड्ढे) हुआ करते थे। इनमें स्नान करने से चर्म रोग दूर होते थे। हालांकि अब गर्म चश्मे नहीं बचे हैं, लेकिन मान्यता बरकरार है। श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन ने कृत्रिम तौर पर चश्मे बनवाए हैं।
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माना जाता है कि इस पानी में नहाने से मन को सुकून मिलता है। यहां पूरे माघ महीने में तुलादान और स्नान परंपरा है। यहां लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार चीजों से तुलते हैं और उसे दान करते हैं।
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तत्तापानी में होने वाले मेले में इस बार करीब 1500 किलो खिचड़ी पकाई जाएगी। यह भोग श्रद्धालुओं में बांटा जाएगा। इसके लिए हरियाणा के जगाधरी से 8 फीट गहरा और चौड़ा एक बर्तन लाया गया है। यह खिचड़ी शुद्ध देसी घी में तैयार की जाती है।
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खिचड़ी पकाने के लिए नरसिंह मंदिर के समीप बड़ा चूल्हा तैयार किया गया है। यह आयोजन पर्यटन विकास निगम कराता है। कहा जा रहा है कि अगर पर्यटन विभाग खिचड़ी पकाने और बांटने में सफल रहा, तो यह प्रयास 'गिनिज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड' में दर्ज हो जाएगा। पर्यटन विकास निगम के प्रबंधन कुमुद सिंह के अनुसार, यह खिचड़ी एक ही बर्तन में पकाई जाएगी। इसमें 800 किलो चीजें डाली जाएंगी। यह खिचड़ी 25 हजार लोगों में बांटने का लक्ष्य है।
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तत्तापानी सतलुज नदी के किनारे स्थित है। कहा जाता है कि यहां सप्त ऋषियों में शामिल जमदगनी ने कई सालों तक घोर तपस्या की थी। इसी पर उन्हें भगवान ने वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति यहां के गर्म चश्मे में स्नान करेगा, उसके चर्म रोग दूर हो जाएंगे। शनि भी उन्हें परेशान नहीं करेगा।
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