इस शख्स की जनसेवा से इंप्रेस हुए प्रधानमंत्री मोदी, पत्र लिखकर कहा- आपका योगदान सराहनीय है...
जोधपुर (राजस्थान). कोरोना वायरस पूरी दुनिया पर कहर बनकर टूट रहा है। भारत में अब तक इस महामारी के 10 हजार से ज्यादा मामले आ चुके हैं। वहीं 340 लोगों की इससे मौत हो चुकी है। पीएम मोदी ने इससे निपटने के लिए 3 मई तक और लॉकडाउन बढ़ा दिया है। वहीं भारत के कोरोना योद्धा इस महामारी को मिटाने के लिए दिन-रात जी जान से जुटे हैं। जो गरीबों और बेसहारा लोगों तक खाना पहुंचा रहे हैं। ताकि कोई इस संकट के समय में भूखे पेट नहीं रहे। राजस्थान से ऐसे ही एक कोरोना योद्धा सामने आए हैं, जो गरीब परिवारों के लिए रोज नियम से खाने की पैकेट पहुंचा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी इस शख्स की तारीफ कर चुके हैं। पीएम ने उनके लिए एक बधाई पत्र भी लिखा है।
Asianet News Hindi | Published : Apr 14, 2020 8:14 AM IST / Updated: Apr 14 2020, 04:28 PM IST
संकट के समय हजारों गरीबों के लिए मसीहा बने रामनिवास मंडा एक समाजसेवी हैं। वह जोधपुर के तिंवरी तहसील स्थित उम्मेदनगर इलाके के रहने वाला है। उन्होंने गरीबों का पेट भरने के लिए अपनी जिंदगीभर की कमाई खर्च कर डाली है।
बता दें, रामनिवास मंडा अब तक 6 हजार परिवारों को राशन बांट चुके हैं। इसके लिए उन्होंने करीब 50 लाख रुपए खर्च किए हैं।
रामनिवास का कहना है कि इस मुश्किल घड़ी में हम अगर आगे नहीं आएंगे तो इंसान कहलाने लायक नहीं। आज हमारे पास जो है उसको इन गरीबों के लिए लुटा देना चाहिए। मेरा मनना है कि पैसा तो कभी भी कमाया जा सकता है लेकिन लोगों की जिंदगी नहीं।
रामनिवास के काम से पीएम मोदी भी प्रभावित हैं। उन्होंने पत्र लिखकर रामनिवास को धन्यवाद दिया है और जमकर उनकी सराहना की है। पीएम ने लिखा-मैंने ये पत्र आपको और आपके परिवार को धन्यवाद देने और अभिनंदन करने के लिए लिखा है। आप जैसे समाज सेवी को देखकर मैं आश्चर्यचकित हूं। ईश्वर आपकी मनोकामना पूर्ण करें। उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं।
कोरोना योद्धा रामनिवास मंडा के इस राशन के एक पैकेट में करीब 750 रुपए का खर्च आता है। इस पैकेट में आटा, दाल, तेल, नमक, हल्दी, मिर्ची, धनिया, साबुन, बिस्किट, माचिस जैसी कई डेली उपयोग में आने वाली वस्तुएं होती हैं।
प्रदेश सरकार से लेकर क्रेंद सरकार तक उनकी तारीफ कर चुके हैं। इतना ही नहीं, सोशल मीडिया पर लोग रामनिवास को इस लड़ाई का असली हीरो बता रहे हैं। वह 16 घंटे मेहनत करके गरीबों को खाना पहुंचा रहे हैं।