कोरोना का सितम: रोटी नसीब नहीं हुई तो पैदल ही हजारों किमी दूर अपने गांव निकल पड़े ये लोग
जयपुर. कोरोना से बचने के लिए पीएम मोदी की अपील के बाद देश को मंगलवार रात 12 बजे से आने वाले 21 दिनों तक लॉकडाउन कर दिया है। महामारी का सबसे ज्यादा असर देहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है। ना उनके पास रहने के लिए छत है और ना ही पेट भरने के लिए खाना बचा है। इसकी वजह से कई लोगों के काम ठप हो गए हैं। कई ऐसे परिवार हैं जिनको दो दिन से भरपेट खाना तक नसीब नहीं हुआ है। ऐसे हालातों में इन परिवारों ने दिल्ली से अपने-अपने गांव पैदल या रिक्शे के जरिए जाने का फैसला किया। इन परिवारों में कोई बिहार का रहने वाला है तो कोई राजस्थान का। वह पेट के लिए हजारों किमी की दूरी तय करने के लिए निकल पड़े हैं।
Asianet News Hindi | Published : Mar 26, 2020 6:34 AM IST / Updated: Mar 26 2020, 07:51 PM IST
तस्वीरों में देखिए कैसे मासूम कंधों पर वजन लेकर अपने घर की ओर कूच कर दिए हैं। कोई अपने भाई-बहन को गोद में लिए हुए है तो कोई घर का सामान।
इस भावुक तस्वीर में देखिए किस तरह से रोजी-रोटी छिनने के बाद एक बाप अपने मासूमों को कंधे पर लेकर गांव के लिए निकल पड़ा है। जब बस और ट्रेनें बंद हो गईं तो वह पैदल ही चल पड़ा। यह युवक गुजरात से राजस्थान अपने गांव आ रहा है।
ऐसा ही एक परिवार है जो करीब 1 हजार किलोमीटर दूरी तय करने के लिए दिल्ली से बिहार पैदल निकल पड़ा है। कंधों पर सामान से भरी बोरी है, फिर भी घर जाने का हौंसला देखने लायक है।
लाचारी की यह तस्वीर मध्य प्रदेश के अलीराजपुर के रहने वाले एक मजदूर परिवार की है। देखिए किस तरह से माता-पिता के पीछे छोटे-छोटे बच्चे भी नन्हें कदमों से चल रहे हैं।
तस्वीर में दिखाई दे रहे युवक बिहार के रहने वाले हैं। ये लोग कोरोना के कहर के चलते दिल्ली से अपने राज्य की और पैदल ही निकल पड़े।
यह तस्वीर पंजाब के दोआबा के रहने वाले लोगों की है। जो दिल्ली से अपने राज्य की तरफ पैदल निकले हैं।
रोजगार छिनने के बाद मजदूर पैदल ही घर जा रहे हैं।
यह तस्वीर उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के मजदूरों की है।
झांसी से किसी तरह ये युवक वाराणसी पहुंचे। वाराणसी में भी इनको बिहार जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला। कई दिनों से भूखे-प्यासे यह लोग इधर-उधर साधन की तलाश करते रहे। साधन न मिलता देख ये पैदल ही रेलवे ट्रैक के सहारे समस्तीपुर के लिए निकल पड़े।
यह तस्वीर देश की राजधानी दिल्ली की है। जब लॉकडाउन होने से एक पहले मजदूर अपने गांव के लिए बोरियों में सामान भरकर पैदल निकल पड़े।