महिला बनने के लिए पुरुष को करनी पड़ती है मशक्कत, पूरी रात होता है श्रृंगार, पढ़िए राजस्थान जोधपुर की ये कहानी

जोधपुर (राजस्थान). लाल सुर्ख जोड़े में सिर पर मिट्टी का घुडला माथे पर उठाए निकली इस महिला की सुंदरता किसी हिरोइन से कम नहीं है। लेकिन सोलह श्रृंगार और गहने से सजी यह महिला नही पुरुष है। जिसे यह स्वांग रचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। पहली बार जब कोई इसे देखता है तो देखता ही रहता है। जब तक किसी को पता ना हो वह नहीं कह सकता है कि यह असल में महिला नहीं पुरुष है।
 

Asianet News Hindi | Published : Apr 12, 2022 6:00 AM IST
14
महिला बनने के लिए पुरुष को करनी पड़ती है मशक्कत, पूरी रात होता है श्रृंगार, पढ़िए राजस्थान जोधपुर की ये कहानी

पुरुष महिला बनकर मिट्टी का घड़ा रख निकलता है
दरअसल जोधपुर में गणगौर का मेला दो तरह से होता है। एक मेला पूरा हो चुका है अब धींगा गवार का पूजन शुरू हो गया है। सोमवार को इस क्रम में फगडा घुडला का आयोजन किया गया यह अलग तरह का मेला होता है इसमें एक पुरुष महिला बनकर मिट्टी का घड़ा अपने सर पर लेकर निकलता है। 
 

24

दोपहर से लेकर रात तक महिलाओं ने पुरुष को किया तैयार
जोधपुर में यह मेला 54 साल से निकल रहा है। इसमें कई झांकियां भी होती है। इस बार महिला का स्वांग करने का मौका आईटी मैनेजर अक्षय लोहिया को मिला। इसके लिए अक्षय को बकायदा अडिशन से गुजरना पड़ा। तब कहीं जाकर सोमवार रात को उसे घुड़ला उठाने का मौका मिला। महिला का स्वांग रचने के लिए बाकायदा उसके पहले मेहंदी लगाई गई। सोमवार दोपहर से लेकर रात तक उसे महिलाओं ने तैयार किया। इसके मेनिक्योर पेडिक्योर किए गए। जेवरात पहनाए गए। महिला का स्वांग धरने के बाद कोई यह नहीं बता सकता की वह पुरुष है। खुद अक्षय का कहना है की उसे इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी।

34

महिलाओं की विजय का प्रतीक है घुडला
मारवाड़ में गणगौर का पूजन सुहाग की कामना एवं लंबी उम्र के लिए किया जाता है। जोधपुर रियासत के पीपाड़ में 1578 में जब गणगौर पूजन चल रहा था और गंगा और गणगौर पूजने वाली महिलाएं जिन्हें तिजनिया कहा जाता है। पूजन के दौरान उनका अजमेर की शाही सेना के सेनापति घुड़ले खां अपहरण कर लिया। यह पता चलने पर जोधपुर से राव सातल वहां पहुंचे। भीषण युद्ध में घुड़ले खां के चंगुल से महिलाओं को छुड़ाया। राव सातल ने घुड़ले खां के सिर पर कई तीर मारे । उसका सिर काट कर महिलाओं के हवाले कर दिया। जिसके बाद महिलाएं इसके सिर को लेकर अपनी जीत जश्न मनाते हुए घूमी थी।
 

44

 1969 में पहली बार पुरुष को बनाया गया था महिला
 इस घटना के बाद छेद किए मिट्टी के घड़े में मिट्टी का घड़ा जिसमे एक दीपक लगाकर महिलाएं घूमने लगी। यह संदेश दिया जाता है कि घुड़ले खां ने जो किया उसका यह हश्र हुआ था। जोधपुर के भीतरी शहर के पुरुषों ने 1969 में इसे मेले का रूप देने के लिए एक पुरुष को महिला बनाकर घुडला उठाने की परंपरा शुरू की थी जो आज तक जारी है।

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos